अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पहली बार दुर्लभ सेरिब्रोस्पाइनल फ्लुइड-वेनस फिस्टुला का सफल इलाज किया गया है। डॉक्टरों ने इनवेसिव इंटरवेंशनल न्यूरो रेडियोलॉजी तकनीक से यह ऑपरेशन किया है। अब महिला स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि 38 वर्षीय महिला पिछले दो महीने से लगातार सिरदर्द और कानों में आवाज से परेशान थी। इसके चलते वह सामान्य कामकाज जैसे खाना-खाना या नहा भी नहीं पा रही थी। अब तक भारत में ऐसे पांच से भी कम मामलों का इलाज हुआ है। यह देश में किसी भी एम्स या आईएनआई में पहला सफल ऑपरेशन है। महिला इसकी शिकायत लेकर मरीज एम्स पहुंची। यहां उसका न्यूरोइमेजिंग जांच किया गया। इससे पचा चला कि मरीज स्पॉन्टेनियस इंट्राक्रेनियल हाइपोटेंशन (एसआईएच) से पीड़ित थी। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क-मेरु द्रव (सीएसएफ) का रिसाव होता है, जिसके कारण सिरदर्द और अन्य लक्षण होते हैं। इसके बाद मरीज का लेटरल डिक्यूबिटस डिजिटल सब्ट्रैक्शन मायलोग्राफी (डीएसएम) जांच किया गया। इसमें यह दुर्लभ सीएसएफ-वेनस फिस्टुला दाईं ओर के एल-1 कशेरूका स्तर पर पाया गया, जहां सीएसएफ असामान्य रूप से शिराओं में जा रहा था। डॉ. निहार विजय काठरानी के नेतृत्व में इंटरवेंशनल न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट की टीम ने सीधे पैर की जांघ से बिना टांकों के, न्यूनतम इनवेसिव एंडोवेस्कुलर प्रक्रिया कर इस फिस्टुला को सफलतापूर्वक बंद किया। ऑपरेशन के बाद महिला की परेशानियां खत्म हो गईं। फॉलो-अप एमआरआई में दिमाग का दबाव सामान्य पाया गया। रेडियोडायग्नोसिस विभागाध्यक्ष डॉ. एनके बोधे ने बताया कि सीएसएफ-वेनस फिस्टुला अत्यंत दुर्लभ और हाल ही में पहचाना गया एसआईएच का कारण है। इस ऑपरेशन में न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ऋचा सिंह चौहान, डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. सुखरिया सरवनन, डॉ. निहार विजय काठरानी, डॉ. सुभ्रत सिंघा, डॉ. वंकडवथ लावण्या, डॉ. अनन्या राव, एवं डॉ. हाशिल, डॉ. सरोज कुमार पाटी, डॉ. मनीष कुमार, रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. अमीन अंसारी, डॉ. क्रोहित यादव, डॉ. वीरेंद्र कुमार, डॉ. नियनता शर्मा आदि शामिल रहे।