5वीं-8वीं बोर्ड आंसरशीट की जांच आज से शुरू:रायपुर में 55 हजार से ज्यादा कॉपियां जांची जाएंगी, फेल होने वाले स्टूडेंट्स भी होंगे प्रमोट

छत्तीसगढ़ में आज से 5वीं और 8वीं के बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों की जांच शुरू हो गई है। करीब 12 साल बाद इन दोनों क्लासेस के लिए फिर से केंद्रीकृत (सेंटर बेस्ड) जांच की व्यवस्था की गई है। इस बार रायपुर ज़िले के धरसींवा, तिल्दा, अभनपुर और आरंग ब्लॉक में कुल 24 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में 5वीं के करीब 26 हजार 584 और 8वीं के 28 हजार 232 बच्चों की उत्तरपुस्तिकाएं चेक की जाएंगी। फेल हुए तो भी मिलेगा प्रमोशन इस एग्जाम में अगर कोई स्टूडेंट फेल भी हो जाता है तो उसे अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाएगा। हां, फेल होने वालों को सप्लीमेंट्री एग्जाम देना होगा। और अगर कोई उसमें भी पास नहीं हुआ, तब भी उसे अगली क्लास में भेजा जाएगा। केंद्र सरकार ने 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने की “नो डिटेंशन पॉलिसी” को खत्म कर दिया है। हांलाकि इस एकेडमिक सेशन में अभी छत्तीसगढ़ में ये नियम लागू नहीं हुआ है। ब्लॉक वाइज जांच केंद्रों की संख्या बीईओ ऑफिस ने सभी जांच के लिए शिक्षकों को ऑर्डर जारी कर दिया है। 5वीं और 8वीं की क्लास पढ़ाने वाले शिक्षक ही कॉपियां जांच रहे हैं। मूल्यांकन का मेहनताना कितना? लोक शिक्षण संचालनालय की गाइडलाइन के मुताबिक, शिक्षक एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 40 कॉपियां जांच सकते हैं। यानी एक दिन में 5वीं के टीचर को 80 रुपए और 8वीं के टीचर को 120 रुपए तक मिल सकते हैं। नवरात्र की वजह से डेट बढ़ी शिक्षकों ने नवरात्र की अष्टमी और नवमी को ध्यान में रखते हुए कॉपी जांच की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद 5वीं की जांच जो 30 मार्च से शुरू होनी थी, अब 7 अप्रैल से शुरू हुई है। 8वीं की जांच भी 4 अप्रैल की जगह अब 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। छत्तीसगढ़ में 12 साल बाद हुई 5वीं और 8वीं की बोर्ड जैसी परीक्षा 17 मार्च से 5वीं और 8वीं की केन्द्रीकृत परीक्षा ली गई थी। अब तक हुई बोर्ड परीक्षाओं से ये काफी अलग रही। क्योंकि इस बार परीक्षा के पैटर्न में बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके तहत छात्रों को अपने ही स्कूल में एग्जाम देने की सुविधा दी गई, जबकि परीक्षा केंद्रों पर निरीक्षण और संचालन की जिम्मेदारी बदल गई। वहीं कोर्ट के आदेश के बाद गर्वमेंट स्कूल के ही ज्यादातर छात्रों ने ये परीक्षा दी है, जबकि कई निजी स्कूल अपनी मर्जी से परीक्षा में शामिल हुए। पहली बार शिक्षक बदले, छात्र नहीं इससे पहले सत्र 2011-12 तक छात्रों को अपने ही स्कूल में परीक्षा देने की अनुमति नहीं थी, बल्कि उन्हें अन्य स्कूलों में परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाते थे। लेकिन इस बार छात्रों को अपने स्कूल में ही परीक्षा देने का मौका मिला, जबकि केंद्राध्यक्षों की नियुक्ति निकटतम विद्यालयों के प्रधान पाठकों, प्रभारी प्रधान पाठकों या वरिष्ठ शिक्षकों में से की गई। कब तक होगा रिजल्ट?

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *