50 कलाकार, 25 महिला दस्तकारों का दल मुंबई रवाना:कला संस्कृति के संगम “रूमायना रंगोत्सव” 13 को, एसपी ने दिखाई हरी झंडी

राजस्थान की समृद्ध कला और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के लिए बाड़मेर स्थित रूमादेवी फाउंडेशन ने पहल की है। मुंबई के अंधेरी वेस्ट स्थित मुक्ति कल्चरल ऑडिटोरियम में “रूमायना रंगोत्सव” का आयोजन 13 दिसंबर को किया जाएगा। बाड़मेर एसपी ने नरेंद्र सिंह मीणा और डिंगल साहित्यकार दीपसिंह भाटी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में राजस्थान के पारंपरिक वीणा भजन, कबीर के पद, गोरख, मीराबाई, डूंगरपुरी आदि की वाणीया और अद्भुत वीणा वादन जैसी लोक विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य मुंबई जैसे महानगर में मारवाड़ी लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना और राजस्थान की समृद्ध विरासत को दर्शकों तक पहुंचाना है। 50 कलाकार और 25 महिला दस्तकारों का दल रवाना “रूमायना रंगोत्सव” प्रोग्राम में भाग लेने के लिए बाड़मेर से 50 वीणा भजन कलाकारों और 25 महिला दस्तकार बहनों का एक विशेष दल रवाना हुआ है। इस दल में 8 साल के छोटे बच्चों से लेकर अनुभवी कलाकार शामिल हैं। यह दल बाड़मेर स्थित रूमादेवी क्रॉफ्ट सेंटर से रवाना हुआ। एसपी ने कहा- कला संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणा एसपी मीणा ने कहा कि “रूमायना रंगोत्सव” केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राजस्थान की लोक परंपराओं, संगीत, और कला के प्रचार का एक सशक्त मंच है। यह पहल महिला सशक्तिकरण और कला संरक्षण की दिशा में भी एक प्रेरणा है। दीपसिंह भाटी ने इसे बाड़मेर और मारवाड़ी संस्कृति के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रयास बाड़मेर क्षेत्र के नाम को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करेगा। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा रूमादेवी फाउंडेशन की प्रवक्ता अनिता व कविता ने बताया- “रूमयना रंगोत्सव” कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण बाड़मेर की दस्तकार महिलाओं का हस्तशिल्प प्रदर्शन है। महिला दस्तकार अपने हाथों से बनाए उत्पादों को मुंबई में पेश करेंगी। जिससे ना केवल उनकी कला को पहचान मिलेगी। बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण पहल है। साथ ही इस दौरान कार्यक्रम में कबीर पद, मीराबाई भजन और वीणा वादन का प्रदर्शन होगा। कार्यक्रम में वीणा भजन कलाकारों और दस्तकार महिलाओं की स्थानीय वेशभूषा के चलते राजस्थानी लोक परंपरा का जीवंत प्रदर्शन होगी। मुख्य कार्यक्रम मुंबई के मुक्ति ऑडोटोरियम में होगा वहीं जुहू तट पर सुबह के समय गाई जाने वाली वाणीयों की विशेष प्रस्तुति होगी।

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