शिल्पा शेट्टी से 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में EOW (इकोनॉमिक ऑफेंस विंग) की टीम ने पूछताछ की है। EOW की टीम करीब साढ़े 4 घंटे तक एक्ट्रेस से सवाल-जवाब करती रही। उनके अलावा शिल्पा के पति राज कुंद्रा का बयान भी दर्ज किया गया है। उनका नाम भी शिकायत में दर्ज है। अफसरों ने शिल्पा और राज कुंद्रा समेत 5 लोगों के बयान लिए हैं। उनसे पूरे लेन-देन की जानकारी ली गई। ये पूछताछ शिल्पा शेट्टी के मुंबई स्थित घर में हुई थी। फिलहाल जांच टीम उस कंपनी का ब्योरा निकाल रही है, जिससे उस समय शिल्पा और राज जुड़े हुए थे। इसी मामले में राज से बीते हफ्ते भी पूछताछ हुई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि बेस्ट डील को दीपक कोठारी द्वारा दी गई रकम को बिपाशा बसु, नेहा धूपिया और प्रोड्यूसर एकता कपूर को बतौर प्रोफेशनल फीस दी जा चुकी थी। क्या है पूरा मामला? अगस्त में मुंबई के एक बिजनेसमैन दीपक कोठारी ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर 60 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में शिकायत दर्ज करवाई है। दीपक कोठारी के मुताबिक, उनकी मुलाकात 2015 में एजेंट राजेश आर्या के जरिए शिल्पा और कुंद्रा से हुई थी। उस समय दोनों बेस्ट डील टीवी के डायरेक्टर थे और शिल्पा के पास कंपनी के 87% से ज्यादा शेयर थे। शिकायत के अनुसार, एक मीटिंग में तय हुआ कि शिल्पा और राज कुंद्रा की कंपनी को दीपक लोन देंगे। कंपनी के लिए 75 करोड़ रुपए का लोन मांगा था, जिस पर 12% सालाना ब्याज तय हुआ। दीपक कोठारी का आरोप है कि बाद में शिल्पा और कुंद्रा ने उनसे कहा कि लोन पर टैक्स की परेशानी आ सकती है, इसलिए इसे इन्वेस्टमेंट के रूप में दिखाते हैं और हर महीने रिटर्न देंगे। अप्रैल 2015 में कोठारी ने करीब 31.95 करोड़ रुपए की पहली पेमेंट की। टैक्स से जुड़ी परेशानी जारी रहने पर सितंबर में दूसरी डील हुई और जुलाई 2015 से मार्च 2016 के बीच उन्होंने 28.54 करोड़ रुपए और ट्रांसफर किए। कुल मिलाकर उन्होंने 60.48 करोड़ रुपए दिए, साथ ही 3.19 लाख रुपए स्टांप ड्यूटी के रूप में चुकाए। कोठारी का दावा है कि अप्रैल 2016 में शिल्पा ने उन्हें पर्सनल गारंटी भी दी थी, लेकिन उसी साल सितंबर में उन्होंने कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिल्पा की कंपनी पर 1.28 करोड़ रुपए का कर्ज न चुकाने का मामला सामने आया। कोठारी को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कई बार अपने पैसे वापस मांगे, लेकिन कोई जवाब और पैसे नहीं मिले। पहले मामला जुहू पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत दर्ज हुआ। चूंकि रकम 10 करोड़ से ज्यादा थी, इसलिए जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दी गई है। EOW इस केस की जांच कर रही है।