छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) में हुए 650 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने उपकरण की सप्लाई करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन के संचालकों के ठिकानों और बिलासपुर में जेल में बंद स्वास्थ्य अधिकारी कमलकांत और रायपुर में कुछ अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे। मोक्षित के तीनों संचालकों का घर व दफ्तर दुर्ग में है, जहां तड़के सुबह 6 बजे ईडी की टीम पहुंची। जांच के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सबूत, दस्तावेज, कैश और जेवर मिले हैं। अफसरों ने 10 घंटे तक पूछताछ की। दुर्ग गंजपारा निवासी कारोबारी शांतिलाल चोपड़ा की मोक्षित कार्पोरेशन है, जो स्वास्थ्य विभाग में मशीन, किट, दवा समेत अन्य चीजों की सप्लाई करती है। इसमें शांतिलाल का बेटा शशांक चोपड़ा डायरेक्टर है, जिसे ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है। ईओडब्ल्यू की जांच में उपकरण खरीदी में 650 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसमें 250 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग भी है। इसी के चलते ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया। सीजीएमएससी घोटाले की जांच में आधा दर्जन आईएएस शामिल, फिर भी नहीं पहुंच पाई एजेंसी प्रमोद साहू की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग व सीजीएमएससी में 650 करोड़ के घोटाले में ईओडब्ल्यू ने 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, पर किसी भी बड़े अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। गिरफ्तार अधिकारियों से ईडी ने लंबी पूछताछ की है। उसके बाद ही बुधवार को छापेमारी की। जांच के घेरे में आईएएस भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा, प्रियंका शुक्ला समेत आधा दर्जन अधिकारी हैं। एजेंसी अब तक इन तक नहीं पहुंच पाई है। एजेंसियों की कार्रवाई सिर्फ छोटे अधिकारियों व कर्मचारी तक सिमट कर रह गई हैं। पिछली सरकार में हुए घोटाले की जानकारी होने के बाद नई भाजपा सरकार ने भी मोक्षित कार्पोरेशन को 30 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया। पैसों के भुगतान के लिए विभाग के अधिकारियों ने नोटशीट तक चलाई थी। पैसा जारी करने के लिए भी मोटा कमीशन लिया। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के खर्च के लिए आचार संहिता लगने से पहले ही टेंडर निकालकर मोक्षित को खून जांच करने वाली मशीनों की सप्लाई का ठेका दे दिया। मोक्षित कंपनी ने मशीनों की सप्लाई की। उसे आधा पैसा भुगतान भी कर दिया, लेकिन मशीन इंस्टाल नहीं हो पाई। छोटे अधिकारी जेल में, बड़े बाहर: ईओडब्ल्यू ने सीजीएमएससी के तत्कालीन जीएम बसंत कौशिक, कमलकांत पाटनवार, दीपक बांधे और छिरौद रतौरिया और स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. अनिल परसाई को गिरफ्तार किया है। ईडी और ईओडब्ल्यू 2019 से 2023 के बीच हुई खरीदारी की जांच कर रही है। स्वास्थ्य विभाग, सीजीएमएससी, एनएचएम, डीएचएस में पदस्थ आईएएस समेत आला अधिकारियों की भूमिका की भी जांच जारी है।