रवि कुमार | कुडू प्रखंड मुख्यालय के समीप पिछले डेढ़ दशकों से अधूरे सौ बेड के रेफरल अस्पताल अधर में लटका है। अस्पताल भवन अधूरा होने के कारण प्रखंड के 66 गांवों के लगभग 50 हजार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। इलाज के लिए मरीजों को लोहरदगा जिला से लेकर दूसरे प्रदेश में इलाज के दौड़ लगाना पड़ रहा हैं। वहीं अधूरे अस्पताल के मामले में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के संज्ञान में आने बावजूद अधूरा पड़ा है। नतीजा लगभग चार करोड़ खर्च होने के बावजूद भवन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। अस्पताल निर्माण पूर्ण कराने की बात कहने वाले दस डीसी का तबादला हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अस्पताल निर्माण कार्य पूर्ण कराने का आश्वासन दिया था लेकिन भवन अधूरा पड़ा है। अधूरे भवन निर्माण पूर्ण कराने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय की नहीं सुनी गई ,जबकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2021 में मामला संज्ञान आने के बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को अधूरे अस्पताल निर्माण कार्य क्यों अधूरा पड़ा जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कही थी। बावजूद इसके अस्पताल निर्माण कार्य अपूर्ण है। अब देखना यह की 2024 की तरह वर्ष 2025 भी अस्पताल के अधूरे सपने के साथ ही बीत जाएगी। ज्ञात हो वर्ष 2008 में लोहरदगा के सांसद और वर्तमान विधायक व रामेश्वर उरांव, तत्कालीन विधायक व सांसद सुखदेव उरांव के द्वारा अस्पताल भवन का शिलान्यास किया गया था और सांसद व विधायक ने शिलान्यास के दौरान कुडू प्रखंडवासियों को कहा गया था कि चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा यह रेफरल अस्पताल। बावजूद इसके 16 वर्षों से अस्पताल भवन अधूरा पड़ा है। नतीजा चार करोड़ का अस्पताल भवन अब जर्जर होकर भूत बंगले में तब्दील हो रहा है। असामाजिक तत्वों का यहां अड्डा बना है। इसे लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। सिर्फ आश्वासन मिला, अस्पताल अबतक नहीं मिल पाया : प्रखण्डवासी ग्रामीणों में विकास चन्द्र अग्रवाल, संजय कुमार, रिंकू कुमार, निरंजन कुमार, महमूद, जसीम, अब्दुल्ला, सिंकू, अजय कुमार, बिट्टू कुमार सहित अन्य ने कहा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री, तत्कालीन सांसद और विधायक सहित विशेष प्रमंडल के अधिकारी व इंजीनियरों के अवैध गँठजोड़ का नमूना बन चुका है। यह अर्धनिर्मित रेफरल अस्पताल भवन, भ्रष्टाचार का जीता जगता नमूना बन चुका है। अस्पताल भवन निर्माण कार्य, मामले पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वही पिछले 16 वर्षों से राजनीतिक दलों के नेता, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद सिर्फ आश्वासनों की घुट्टी ग्रामीणों को पिला रहे हैं।