80 साल से 14 कनाल पर पीड़ित का कब्जा, 13 साल पहले ट्रस्ट के क्लर्क ने लिखित में दिया ​था कि 1973 में अवार्ड हुआ…

भास्कर न्यूज | अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट शहर में अवैध कब्जे की बिल्डिंग तोड़ने को लेकर वाहवाही लूट रहा है मगर लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ट्रस्ट के जेसीबी-बुलडोजर का कहर गरीबों पर बरपाया जा रहा है। अजनाला रोड पर बीते 30 जुलाई को सिंगल स्टोरी मकान पर अवैध कब्जा बताकर तोड़ने के मामले में नया मोड़ आ गया है। 55 साल पहले 1970 से 14 कनाल में धरमिंदर सिंह का पुश्तैनी कब्जा चला आ रहा था। 1971 में सिविल कोर्ट से मालिकाना हक भी उनके दादा सरला बलदेव इंदर सिंह के नाम करने का आदेश दिया जा चुका है मगर 13 साल पहले 2012 में ट्रस्ट के अफसरों की नजर इस जगह पर पड़ी और इसे अपनी बता धरमिंदर को जगह खाली करने को कहा। जिसके बाद जगह न छोड़ने पर अफसर थ्रेट करने लगे लेकिन यह भी पता था कि मामला कोर्ट में चल रहा है। तंग आकर मकान ने तत्कालीन डीसी को शिकायत की थी, जिसकी जांच तत्कालीन तहसीलदार को मार्क हुई। ^ट्रस्ट की जगह पर अवैध कब्जा था इसलिए कार्रवाई की गई है। -करमजीत सिंह रिंटू , चेयरमैन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट तहसीलदार ने मामले की जांच शुरू की तो ट्रस्ट के सीनियर क्लर्क ने लिखित में बयान दर्ज कराया कि 1973 में अवार्ड करवाया था उसमें खसरा नंबर 118/35 शामिल नहीं है। विवाद बढ़ने पर धरमिंदर को लगा कि उनके जगह पर ट्रस्ट जबरन कब्जा कर लेगा तो हाईकोर्ट इंसाफ पाने के लिए साल 2012 में केस किया। जिस पर कोर्ट ने स्टेटस-को मेंटेन करने के आदेश दिए। 3 मई 2024 में ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में स्टेटमेंट दिया कि 2006 में उक्त जगह पर कब्जा करने के साथ ही कंपनसेशन जमीन मालिक सरला बलदेव सिंह को दे दी गई है। जिस पर हाईकोर्ट ने वादी को निचली अदालत में जाने का आदेश दिया। हालांकि वादी धरमिंदर ने ट्रस्ट के इस स्टेटमेंट को सुप्रीम कोर्ट में 30 मई 2024 को चैलेंज करते हुए अपील दायर की। जिस पर कोर्ट ने ट्रस्ट के एक्वायर अथॉरिटी को पार्टी बनाने की बात कहते हुए निचली अदालत में जाने को कहा। जिसके बाद बीते 3 मई 2025 को सिविल कोर्ट में केस फाइल किया था। मामले में 2 अगस्त को सुनवाई होनी थी। लेकिन सुनवाई से 3 दिन पहले ही ट्रस्ट के एक्सईएन विभागीय टीम व पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और जेसीबी से मकान तोड़ दिया। वहीं अब बच्चे-महिलाएं सड़क पर रात बिताने को मजबूर हो चुके हैं। दो वक्त की रोटी भी अंधेरे में खाने को मजबूर हैं। पीड़ित धरमिंदर से बात की तो बताया कि 55 साल तो उनके पिता-दादा का कब्जा रहा है। इसके पहले भी इस 25-30 साल से इस जगह पर कब्जा था। सारे डॉक्यूमेंट उनके फेवर में हैं। इसके बावजूद मकान तोड़ दिया गया। 200 मीटर दूरी पर ही मल्टीप्लेक्स बनाया जा रहा जो करीब 2 साल से बन रहा है। जिसका काम ही रुकवाया जा सका है। जबकि आर्मी की जगह पास में ही है। जो अवैध बन रहा उसे तोड़ नहीं पा रहे। गरीबों के छत व दो वक्त की रोटी छीन ली गई। इंसाफ के लिए वह अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेंगे। पुलिस बल ने महिलाओं तक को नहीं बख्शा। कोर्ट के आदेश से लेकर सारे दस्तावेजों को ठुकरा दिया गया। मकान तोड़ने से पहले कोई नोटिस मालिक को नहीं दिया। जबकि 3 नोटिस देने का प्रावधान है। धक्केशाही कर जबरन जेसीबी चला दी गई। ^मैं समर्थ अथारिटी नहीं हूं। ट्रस्ट चेयरमैन के आदेश पर अजनाला रोड पर बना मकान तोड़ा गया है। इस मामले में चेयरमैन ही कुछ बोल सकते हैं। – बिक्रम सिंह, एक्सईएन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ^ट्रस्ट द्वारा मकान तोड़ने के मामले में पीड़ित पक्ष से शिकायत मली है। एसडीएम-2 को मामले में जांच के आदेश दिए हैं। -साक्षी साहनी , डीसी

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