केन्द्रों में धान खरीदी शुरू हुए 21 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सोसाइटियों में टोकन अब तक नहीं कट पा रहे हैं। पिथौरा ब्लॉक में इसी बात से तंग आकर एक किसान ने ब्लेड से अपना गला काट लिया। गंभीर हालत में किसान को इलाज के लिए राजधानी के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रेफर किया गया। किसान की हालत नाजुक बताई जा रही है। वहीं, कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने कहा कि खरीदी केंद्र में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच करवाई है। किसान टोकन कटवाने के लिए खरीदी केंद्र में नहीं पहुंचा है। कहीं और से टोकन कटवाने की कोशिश की होगी। सोसाइटियों में कोई दिक्कत नहीं है। किसान का इलाज करवा रहे हैं। बोडरीदादर ग्राम पंचायत के रहने वाले किसान मनबोध तांडी (60 वर्ष) धान बेचने के लिए काफी दिनों से परेशान थे। आधार लिंक नहीं होने की वजह से उसका किसान पंजीयन कैरी फॉरवर्ड नहीं हुआ था। इसके लिए वे पिछले तीन दिनों से चॉइस सेंटर के चक्कर काट रहे थे। खरीदी के शुरुआती दौर में कर्मचारियों की हड़ताल और अब किसान पंजीयन की धीमी प्रक्रिया ने उन्हें बुरी तरह परेशान कर दिया था। बताते हैं कि शनिवार सुबह वे घर से मवेशियों को चराने के लिए निकले थे। इसी दौरान एक खेत के करीब उन्होंने ब्लेड से अपना गला काटकर खुदकुशी की कोशिश की। सुबह करीब 9 बजे आसपास से गुजर रहे राहगीरों ने देखा, तो मनबोध को जमीन पर तड़पते हुए पाया। ग्रामीणों ने फौरन परिवार के साथ लोकल पुलिस को सूचना दी। किसान को आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां प्राथमिक उपचार के तुरंत बाद उन्हें महासमुंद जिला अस्पताल ले जाया गया। ब्लेड काफी अंदर तक घुस चुकी थी, ऐसे में गले में एक पाइप डालकर उन्हें यहां से रायपुर के अंबेडकर रेफर कर दिया गया। दूसरी ओर, मुनगासेर के शाखा प्रबंधक के मुताबिक खेमड़ा सोसाइटी में पंजीयन करवाया गया है। किसान की एक एकड़ 40 डिसमिल में खेती, धान 15 दिन से घर में ही रखा था मनबोध गांव के मवेशियों को चराने का काम करता है। थोड़ी-बहुत जो जमीन है, उस पर खेती भी कर लेता है। यही उसकी थोड़ी-बहुत कमाई का जरिया है, जिससे वह परिवार का गुजारा करते आया है। मनबोध ने इस बार 1 एकड़ 40 डिसमिल में धान की फसल ली थी। धान काटकर 15 दिन से घर में ही रखा था। टोकन कटवाने के लिए तभी से चक्कर काट रहा था। 120 से ज्यादा किसान रिकॉर्ड में सुधार न होने से परेशान खेमड़ा खरीदी केंद्र में कई किसानों का एग्रीस्टेक पंजीयन भी नहीं हो पाया है। करीब 120 से अधिक किसानों का रकबा रिकॉर्ड में कम दर्शाया गया है। इसे भी अब तक नहीं सुधारा जा सका है। किसान इसके लिए भी भटक रहे हैं। किसानों का खसरा भी रिकॉर्ड में गड़बड़ शो कर रहा है।


