दुर्ग जिले में सड़क हादसे में एक टेक्नीशियन की मौत हो गई। रिसामा गांव में 6 दिसंबर की शाम दो तेज रफ्तार बाइक की आमने-सामने की टक्कर हुई। एक बाइक पर उत्तम चंद्राकर (38) थे जिनकी डेथ हो गई। वह क्रेडा विभाग के क्लस्टर टेक्नीशियन थे। दूसरी बाइक पर सवार मिथिलेश यादव गंभीर रूप से घायल हो गया। मामला अंडा थाना क्षेत्र का है। घायल युवक को दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद मृतक के परिजनों और विभागीय कर्मचारियों में आक्रोश है। बताया जा रहा है दूसरा बाइक सवार नशे में था। हेलमेट पहनने के बावजूद गई जान 6 दिसंबर की शाम करीब 3:55 बजे रिसामा स्थित एमएस फ्यूल्स के पास एक मोड़ पर हुई। विनायकपुर (अंडा) के रहने वाले उत्तम चंद्राकर अपने हेल्पर टीलेश साहू के साथ ग्राम घुपसीडीह में विभागीय काम खत्म कर बाइक से घर लौट रहे थे। हेल्पर टीलेश साहू ने बताया कि वे अपनी सामान्य गति में सही दिशा में जा रहे थे। तभी रिसामा निवासी मिथिलेश यादव अपने एक साथी के साथ गलत साइड से अनियंत्रित गति में आया और सीधे उत्तम चंद्राकर की बाइक से टकरा गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि हेलमेट पहने होने के बावजूद उत्तम चंद्राकर की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। घटना के बाद साथी फरार, नशे में था टीलेश ने यह भी बताया कि टक्कर मारने वाला युवक मिथिलेश और उसका साथी नशे में थे। हादसे के बाद मिथिलेश गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिला, जबकि उसका साथी मौके से फरार हो गया। हादसे के तुरंत बाद हेल्पर टीलेश ने मृतक उत्तम के छोटे भाई चंद्रहास चंद्राकर को फोन पर सूचना दी। परिवारजन घटनास्थल पर पहुंचे और उत्तम को तत्काल दुर्ग जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। देर शाम होने के कारण पोस्टमॉर्टम अगले दिन सुबह किया जाएगा। फिलहाल शव को अस्पताल की मर्चुरी में रखवाया गया है। कर्मचारियों ने बताया कि उत्तम चंद्राकर का वेतन बकाया था और उनका बीमा भी नहीं था, जिससे उनमें गहरा आक्रोश है। पिछले 10 साल से कार्यरत था टेक्नीशियन मृतक उत्तम चंद्राकर पिछले 10 सालों से क्रेडा विभाग में क्लस्टर टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत थे। परिवार में माता-पिता, भाई, पत्नी और दो छोटे बच्चे 9 वर्षीय बेटी और 7 वर्षीय बेटा हैं। घर का इकलौता कमाऊ सदस्य होने के कारण उसकी मौत से पूरे परिवार सदमे में है। घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के विभागीय साथी बड़ी संख्या में जिला अस्पताल पहुंचे। यहां कर्मचारियों का आक्रोश साफ दिखाई दिया। उनका कहना था कि हादसे में बाद कंपनी की ओर से बीमा नहीं मिलता। मृतक का भी वेतन बकाया है।


