धौलपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष गुप्ता ने आमजन से देहदान की अपील की है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा के लिए देहदान अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को मानव शरीर की संरचना समझने के लिए कैडर (मृत शरीर) की आवश्यकता होती है। डॉ. गुप्ता ने जानकारी दी कि देहदान की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इसके लिए एक सामान्य फॉर्म भरना होता है, जिसमें देहदान करने वाले व्यक्ति का पूरा विवरण, उनके रक्त संबंधियों की सहमति और एक गवाह का होना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में परफॉर्मा नंबर 1 और 2 भरे जाते हैं। कॉलेज में देहदान किए गए शवों को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रीजर और कैडर टैंक की सुविधा उपलब्ध है। शवों को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए एम्बाल्मिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, जिसमें फॉर्मेलिन, ग्लिसरीन और एथाइल अल्कोहल जैसे रसायनों का प्रयोग होता है। एक देहदान से 10 डॉक्टरों को भविष्य संवरता है
डॉ. गुप्ता के अनुसार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के मानकों के तहत एक देहदान से लगभग 10 डॉक्टरों का भविष्य संवरता है, क्योंकि विद्यार्थी इसी माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। उन्होंने आमजन से इस पुनीत कार्य में आगे आने और समाजहित में देहदान कर चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने की अपील की।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल दीपक दुबे ने भी बताया कि अक्सर मेडिकल कॉलेजों में कैडर की कमी होती है। उन्होंने लोगों से देहदान अभियान से अधिक से अधिक जुड़ने की अपील की, ताकि चिकित्सा शिक्षा में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।


