एनसीईआरटी ने स्वीकार किया है कि उसकी कक्षा 8 की इतिहास पुस्तक में प्रकाशित 1759 के मराठा साम्राज्य का मानचित्र किसी प्रमाणित ऐतिहासिक स्रोत, विशेषज्ञ समिति या शैक्षणिक अनुमोदन पर आधारित नहीं है। यह खुलासा एनएसयूआई मध्य प्रदेश के प्रदेश सचिव विक्रांत सिंह परिहार द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में हुआ है। आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया है कि मानचित्र तैयार करने के लिए कोई ऐतिहासिक विशेषज्ञ समिति गठित नहीं की गई थी। इसके निर्माण से संबंधित कोई बैठक का विवरण या मानचित्र के स्रोतों का रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है। संस्था के पास जयपुर, रीवा, दिल्ली, पेशावर, कोलकाता, मैसूर और पुडुचेरी जैसे क्षेत्रों को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। इस मामले पर एनएसयूआई नेता विक्रांत सिंह परिहार ने कहा, “इतिहास किसी राजनीतिक या सांस्कृतिक आग्रह का माध्यम नहीं बन सकता। बच्चों को गलत मानचित्रण के जरिए भटकाया जा रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि यह मुद्दा शिक्षा मंत्रालय, संसद की स्थायी समिति और राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष उठाया जाएगा। एनएसयूआई ने इस संबंध में चार प्रमुख मांगें रखी हैं: 1. एनसीईआरटी द्वारा बनाए गए सभी ऐतिहासिक मानचित्रों की स्वतंत्र पुनर्समीक्षा की जाए। 2. राष्ट्रीय इतिहासकारों, विश्वविद्यालयों और पुरातत्व विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति का गठन हो। 3. स्कूलों में पढ़ाए जा रहे इतिहास की तथ्यात्मक शुद्धता सुनिश्चित की जाए। 4. गलत सामग्री को सुधारने और नया संस्करण जारी करने के लिए समयसीमा तय की जाए।


