ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्नैपडील की पैरेंट कंपनी एसीवेक्टर लिमिटेड ने IPO के लिए सेबी के पास अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जमा किया है। कंपनी IPO के जरिए 300 करोड़ रुपए जुटाने की प्लानिंग कर रही है। जिसमें फ्रेश शेयर इश्यू और मौजूदा इनवेस्टर्स की ओर से ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल है। कंपनी का यह कदम पब्लिक मार्केट में लिस्टिंग की दिशा में एक बड़ा स्टेप है। IPO से जुटाए जाने वाले फंड का इस्तेमाल कहां करेगी कंपनी? एसीवेक्टर का यह IPO दो हिस्सों में बंटा है। पहला फ्रेश इश्यू के तहत कंपनी 300 करोड़ रुपए तक जुटाएगी। ये पैसे कंपनी के एक्सपेशन, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और ऑपरेशनल जरूरतों में लगेंगे। दूसरा OFS के जरिए कंपनी के मौजूदा शेयरहोल्डर्स अपने 6.3 करोड़ इक्विटी शेयर बेचेंगे। इस लिस्ट में बड़े नाम जैसे सॉफ्टबैंक और नेक्सस वेंचर पार्टनर्स शामिल हैं, जो अपनी हिस्सेदारी कम करेंगे। फाइलिंग के मुताबिक, IPO का साइज अभी फाइनल नहीं है, लेकिन यह ई-कॉमर्स सेक्टर में निवेशकों की दिलचस्पी को फिर से जगाने वाला हो सकता है। सेबी की मंजूरी मिलने के बाद ही IPO की डेट्स और प्राइस बैंड तय होगा। 2010 में शुरू हुई स्नैपडील IPO तक कैसे पहुंची? स्नैपडील 2010 में शुरू हुई थी। जब ई-कॉमर्स का दौर भारत में जोर पकड़ रहा था। कुनाल भल्ला और रोहन मल्होत्रा ने इसे लॉन्च किया था, जो लोकल ब्रांड्स को प्रमोट करने पर फोकस करता है। कंपनी ने शुरुआती दिनों में तेज ग्रोथ की, लेकिन अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे दिग्गजों के आने से कॉम्पिटिशन बढ़ा। 2017 में स्नैपडील ने फ्लिपकार्ट को 20% स्टेक बेचा था। जिसके बाद यह जियोमार्ट का हिस्सा बन गई। अब एसीवेक्टर के तहत स्नैपडील इंडिपेंडेंट ऑपरेट कर रही है। कंपनी का फोकस छोटे शहरों के कंज्यूमर्स पर है, जहां लोकल प्रोडक्ट्स की डिमांड ज्यादा है। पिछले कुछ सालों में ई-कॉमर्स मार्केट में वैल्यूएशन प्रेशर के बावजूद, स्नैपडील ने प्रॉफिटेबल मॉडल पर शिफ्ट किया है। सॉफ्टबैंक क्यों बेच रहा कंपनी के स्टेक्स? OFS में सॉफ्टबैंक और नेक्सस वेंचर पार्टनर्स जैसे बड़े इनवेस्टर्स अपनी होल्डिंग्स कम करेंगे। सॉफ्टबैंक ने स्नैपडील में शुरुआती दौर से निवेश किया था, लेकिन हाल के सालों में ई-कॉमर्स इनवेस्टमेंट्स पर रिव्यू किया है। यह OFS इनवेस्टर्स को लिक्विडिटी देने का मौका देगा, जबकि कंपनी को फ्रेश कैपिटल मिलेगा। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मूव स्नैपडील को फंडिंग क्रंच से बाहर निकाल सकता है। ई-कॉमर्स सेक्टर में 2025 तक 2 लाख करोड़ डॉलर का मार्केट प्रोजेक्टेड है, जिसमें छोटे प्लेयर्स जैसे स्नैपडील को ग्रोथ के मौके मिलेंगे। कंपनी को IPO से क्या उम्मीदें? यह IPO स्नैपडील को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। फंड्स से कंपनी टेक्नोलॉजी में इनवेस्ट करेगी, जैसे AI बेस्ड रिकमेंडेशन सिस्टम और लॉजिस्टिक्स इंप्रूवमेंट। भारत के ई-कॉमर्स बूम में स्नैपडील का फोकस Tier-2 और Tier-3 सिटीज पर है, जहां पेनेट्रेशन अभी कम है। अगर सब ठीक रहा, तो लिस्टिंग के बाद शेयर प्राइस में अच्छा रिस्पॉन्स मिल सकता है। लेकिन चैलेंजेस जैसे कॉम्पिटिशन और रेगुलेटरी चेंजेस बने रहेंगे। कंपनी ने फाइलिंग में कहा है कि IPO से ग्रोथ को बूस्ट मिलेगा और स्टेकहोल्डर्स को वैल्यू क्रिएशन का फायदा होगा।


