अमित बघेल को 5 राज्य में अलग जमानत लेनी होगी:3 दिन की रिमांड खत्म, क्लब नहीं होंगी 12 FIR, 10 सवालों में समझिए कानूनी-प्रक्रिया

छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल की तीन दिन की पुलिस रिमांड आज खत्म हो रही है। बघेल को 6 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था, जब वे सरेंडर के लिए देवेंद्रनगर थाने पहुंच रहे थे तब थाने से करीब 20 मीटर पहले ही पुलिस ने उन्हें घेरकर हिरासत में ले लिया। बाद में कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीन दिन की पुलिस रिमांड मिली। इसी बीच, शुक्रवार को उनकी मां का निधन हो गया, जिसके बाद पुलिस कस्टडी में ही उन्हें पैतृक गांव ले जाकर अंतिम संस्कार की अनुमति दी गई। अमित बघेल पर उनके विवादित बयानों को लेकर 5 राज्यों में 12 FIR दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुका है और साफ कह चुका है कि उन्हें हर राज्य की अलग-अलग कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। इस एक्सप्लेनर में हम सीनियर क्रिमिनल लॉयर हितेन्द्र तिवारी से समझेंगे कि अब अमित बघेल के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई किस तरह आगे बढ़ेगी, कई FIR वाले मामलों में प्रक्रिया क्या होती है, और आने वाले हफ्तों में कौन-कौन से कानूनी कदम सामने आ सकते हैं। पढ़िए पूरी बातचीत:- सवाल. एक व्यक्ति के खिलाफ कई राज्यों में FIR हों तो प्रारंभिक कानूनी प्रक्रिया क्या होती है? जवाब – सामान्यतः पुलिस सबसे पहले उस FIR पर कार्रवाई करती है जिसका मामला सबसे गंभीर है या जिसने आरोपी के लोकेशन पर सबसे पहले गिरफ्तारी/जांच की पहल की है। चूंकि अमित बघेल को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है, इसलिए अब प्राथमिक कार्रवाई वही कर रही है। गिरफ्तारी के बाद आरोपी का प्रोडक्शन वारंट और ट्रांजिट रिमांड तय करेगा कि उसे अगली FIR वाले राज्य में कब और कैसे भेजा जाएगा। सवाल- क्या पुलिस सभी FIR को एक साथ क्लब कर सकती है? जवाब – नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर की सुनवाई में साफ कहा था कि कोर्ट FIR क्लबिंग पर दखल नहीं देगा। यानी सभी FIR अलग-अलग राज्यों में अपनी जगह पर कायम रहेंगी। हर राज्य की पुलिस अपनी FIR पर अलग जांच करेगी। क्लबिंग का विकल्प तभी संभव होता है जब सभी FIR एक ही घटना और एक ही अधिकार क्षेत्र से संबंधित हों, जो इस केस में नहीं है। सवाल- जब किसी आरोपी पर अलग-अलग राज्यों में FIR हों, तो उसे कौन सा राज्य पहले कस्टडी में लेगा? किसका ‘राइट ऑफ फर्स्ट कस्टडी’ होता है? जवाब – जिस राज्य ने पहले गिरफ्तारी की…इस केस में छत्तीसगढ़ और उसके पास पहला अधिकार होता है। फिर अन्य राज्य अपने-अपने प्रोडक्शन वारंट भेजते हैं। छत्तीसगढ़ कस्टडी खत्म होने पर ही आरोपी को किसी दूसरे राज्य को सौंपा जाता है। सवाल – क्या हर FIR के लिए आरोपी को अलग-अलग राज्यों की पुलिस रिमांड पर जाना होगा? जवाब – हां। हर FIR में अलग पुलिस रिमांड, अलग जमानत, और अलग ट्रायल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में ये कहा भी था। पुलिस आपको देश घुमाएगी, देश की सैर का आनंद लीजिए। इसका मतलब साफ है कि अमित बघेल को एक-एक करके सभी राज्यों में पेश होना पड़ेगा। सवाल – क्या किसी एक कोर्ट से ‘एक साथ’ राहत मिल सकती है? जवाब – नहीं, ‘कॉमन बेल’ जैसा कोई विकल्प नहीं होता। हर FIR में अलग जमानत लेनी पड़ती है।चाहे वो एंटीसिपेट्री हो या रेगुलर बेल। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए यही कहा था कि पहले जुबान पर लगाम रखिए, फिर कानून की प्रक्रिया का सामना कीजिए। सवाल – क्या आरोपी यह मांग सकता है कि सारे मामलों की सुनवाई एक ही जगह हो? जवाब – अमित बघेल ने इस मामले में मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। इसका सीधा मतलब यही है कि हर राज्य में पुलिस गिरफ्तार करेगी और वहां के कोर्ट में पेशी होगी। सवाल – अगर आरोपी की मां का निधन हुआ है,जैसे इस केस में हुआ, अंतिम संस्कार के बाद बाकी कर्मकांड के लिए भी अंतरिम राहत मिल सकती है? जवाब – कोर्ट चाहे तो पुलिस ‘कस्टडी ब्रेक’ या ‘अस्थाई रूट परमिशन’ दे सकती है।लेकिन यह राहत बहुत सीमित समय और पुलिस निगरानी में होती है, जैसा कि यहां हुआ उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाकर वापस रिमांड पर पेश किया जाएगा। सवाल- क्या सोशल मीडिया या सार्वजनिक बयान वाले मामलों में गिरफ्तारी अनिवार्य है? जवाब -जब कोई बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा लांघकर किसी समुदाय, समूह या व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग माना जाता है। ऐसे मामलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने और संभावित अशांति रोकने के लिए पुलिस को गिरफ्तारी का पूरा अधिकार है। संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन यह आज़ादी दूसरों की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों को आहत करने का लाइसेंस नहीं है। सवाल – आगे की प्रोसेस में सबसे पहले क्या होगा? जवाब – छत्तीसगढ़ की 3 दिन की पुलिस रिमांड पूरी होगी। उसके बाद ज्यूडिशियल कस्टडी/अगली रिमांड तय होगी। इस बीच अन्य राज्यों की पुलिस प्रोडक्शन वारंट लगाएगी। एक-एक कर अन्य FIR वाले राज्यों में उसे ले जाया जाएगा। हर FIR में उसे अलग बेल अर्जी लगानी होगी। लंबी अवधि तक यह प्रक्रिया चल सकती है। सवाल- क्या आरोपी को जल्दी राहत मिलने की संभावना है? जवाब – इस मामले में फिलहाल जल्दी राहत मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। अमित बघेल के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में कई गैर-जमानती धाराओं के तहत FIR दर्ज हैं, इसलिए हर मामले में अलग-अलग कोर्ट से बेल लेनी होगी। सुप्रीम कोर्ट पहले ही अग्रिम जमानत ठुकरा चुका है, ऐसे में त्वरित राहत की संभावना फिलहाल बेहद कम है। ……………………….. अमित बघेल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अमित बघेल गिरफ्तार…26 दिनों से थे फरार:सड़क पर उतरे समर्थक, पुलिस को 3 दिन की रिमांड मिली, कल मां के अंतिम संस्कार में जाएंगे छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल को देवेंद्र नगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बघेल थाने के बाहर सरेंडर करने पहुंचे थे, लेकिन थाने से 20 मीटर पहले ही पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें पकड़ लिया। पुलिस कानूनी तौर इसे गिरफ्तारी बता रही है। लेकिन समर्थकों ने इसका विरोध करते हुए सरेंडर बताया है। पढ़ें पूरी खबर

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