भास्कर न्यूज | राजिम प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा एवं ग्राम पंचायत खमढोड़गी के संयुक्त तत्वावधान में कुरूमार्री पहाड़ पर दो दिवसीय ‘औषधीय पौधों की खोज यात्रा एवं संरक्षण–संवर्धन कार्यशाला’ का आयोजन हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर उत्तर बस्तर कांकेर द्वारा शासकीय रामबिशाल पाण्डेय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की रसायन व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ को सम्मानित किया गया। इस ट्रैकिंग और संवर्धन कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए विद्यार्थियों, शिक्षकों, वनस्पति विज्ञान विशेषज्ञों तथा स्थानीय वैधराजों ने पर्वतीय क्षेत्र में भ्रमण कर सैकड़ों औषधीय वनस्पतियों की पहचान की तथा इनके वैज्ञानिक संरक्षण, पारंपरिक उपयोग और औषधीय महत्व पर शोधपरक चर्चा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर बस्तर कांकेर कलेक्टर निलेश क्षीरसागर उपस्थित हुए। विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री अजय कुमार मंडावी (शिल्पकार), रायपुर आयुर्वेद विभाग से डॉ. पल्लवी क्षीरसागर, डॉ आशीष नायक धमतरी , डॉ अलका मरकाम एमबीबीएस, सरपंच निर्मला निशा दुगा, अमिता मंडावी, सोनेलाल जुर्री, प्यार सिंह मण्डावी भूतपूर्व सरपंच, एल आर सिन्हा जन विज्ञान केन्द्र कांकेर तथा प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा से अभिषेक शुक्ला शामिल रहे। समापन समारोह में कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रकृति एक-दूसरे के पूरक हैं। जब विद्यार्थी प्रकृति को पुस्तकों से बाहर निकलकर वास्तविक रूप में समझते हैं, तब सीखने की प्रक्रिया गहन और सार्थक बन जाती है। कार्यशाला के दौरान सेजेस राजिम की शिक्षिका समीक्षा गायकवाड़ को विज्ञान के प्रति सक्रियता, औषधीय पौधों की खोज यात्रा में उत्कृष्ट भागीदारी तथा संरक्षण–संवर्धन गतिविधियों में उल्लेखनीय योगदान के लिए कलेक्टर द्वारा स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी जेएस धीर, डीएमसी शिवेश शुक्ला, बीआरसी सुभाष शर्मा, विद्यालय प्राचार्य बीएल ध्रुव, वरिष्ठ व्याख्याता सागर शर्मा, कमल सोनकर, गोपाल देवांगन, मधु गुप्ता, पूजा मिश्रा, प्रधानपाठक एजी गोस्वामी, संकुल समन्वयक भारती नामदेव, शाला विकास समिति अध्यक्ष सुजाता शर्मा सहित समिति के समस्त सदस्यों ने शुभकामनाएं कीं। इस अवसर पर शिक्षिका ने अतिथियों को सीडबाल भेंट किए जिस पर कलेक्टर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ पल्लवी क्षीरसागर ने इसे पर्यावरण संरक्षण का बेहद सरल और प्रभावी पहल बताया और शिक्षिका के इस प्रयास की प्रशंसा की। इसके उपरांत कलेक्टर, विशिष्ट अतिथियों एवं विज्ञान संचारकों ने खंमढोडगी जलाशय परियोजना में बैम्बू राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियों का अनुभव लिया, जिससे टीमवर्क, पर्यावरणीय समझ और अन्वेषण क्षमता का विकास हुआ। कार्यक्रम स्थल पर विद्यार्थियों द्वारा विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी, स्थानीय पारंपरिक औषधीय जड़ी-बूटी स्टॉल, तथा “जंगल और जनजातीय चिकित्सा पद्धति” पर आधारित इंटरएक्टिव डिस्प्ले लगाए गए, जिनकी अतिथियों ने अत्यधिक सराहना की। अतिथियों ने इसे ग्रामीण विज्ञान शिक्षा में नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। पूरा आयोजन कुरूमार्री पहाड़ एवं आसपास के वन क्षेत्र की जैव-विविधता, औषधीय ज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ।


