किरोड़ीलाल मीणा बोले- भौंको… और भौंको:SIR की तुलना ‘गाड़ी की सर्विस’ से कर नाचे विधायक; संविधान की शपथ लेकर किया विवाह

नमस्कार दौसा में मंत्रीजी ने भरी सभा में कह दिया- हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकते हैं। भौंको… और भौंको। आजकल मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है। मंत्रीजी का हर बयान डीकोड किया जा रहा है। चित्तौड़गढ़ में पूर्व मंत्रीजी की टीस अब उभरकर सामने आई है। वे लोकसभा चुनाव में हार गए थे। जयपुर में विधायकजी ने SIR के काम की तुलना गाड़ियों की सर्विस से कर दी। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में… 1. किरोड़ी बोले- मुझे गालियां पड़ती हैं माता-पिता ने उनका नाम ही किरोड़ी निकाला। तो जब नाम ही किरोड़ी रख दिया तो दस पांच करोड़ रुपए तो कमाए। राजनीति में दशकों हो गए हैं। यह बात मंच से कहते हुए किरोड़ी बाबा संभले। फिर बोले-कभी भ्रष्टाचार नहीं किया। भ्रष्टाचार का तो मैं नंबर वन दुश्मन। मुझे बहुत गालियां पड़ती हैं। सबसे ज्यादा तो महुवा (दौसा) से ही। फिर उन्होंने खुद को हाथी बताया। इसका तात्पर्य उनके वजन से बिल्कुल नहीं था। वे वेट काफी कम कर चुके हैं और कई मौकों पर डांस करके फिटनेस भी साबित की है। हाथी की बात करते हुए वे दोबारा माता-पिता पर आए। कहा- पिताजी ने कहा था- लाला, हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकते हैं। भौंको… और भौंको। हाथी की दुम नहीं पकड़ सकते। बातें करते-करते उन्होंने मन की टीस भी खोलकर रख दी। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम साहब भी थे। उनके सामने ही बोले- बैरवा जी दूसरे बार में ‘उप’ बन गए। मैं छठी बार में भी नहीं बन पाया। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं के दौर में किरोड़ी बाबा के हर बयान पर एक्सपट्‌र्स के कान खड़े हो जाते हैं। बयान को डीकोड करने के लिए हाथी की पूंछ टटोलने की कवायद शुरू हो गई है। 2. पूर्व मंत्री बोले- मैं खुद बनने के लिए दौड़ रहा था खुद की पोल बहुत कम लोग खोल पाते हैं। सत्ता में रहते मुश्किल होता होगा, लेकिन वे विपक्ष में हैं। उनका नाम उदयलाल आंजना है। वे चित्तौड़गढ़ से हैं और पूर्व मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई थी। वे प्रमोद सिसोदिया के शपथ ग्रहण में बोल रहे थे। पार्टी ने प्रमोद सिसोदिया को जिलाध्यक्ष बनाया है। इसी क्रम में पूर्व मंत्री ने अपनी ही पोल खोली। बोले- पार्टी ने लोकसभा चुनाव के वक्त प्रमोद को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बना दिया होता तो मैं चुनाव नहीं हारता। कई नेताओं ने कहा था। आप प्रमोद को कार्यकारी अध्यक्ष बना देंगे तो हम घर बैठ जाएंगे। मैं तो खुद जिलाध्यक्ष बनने के लिए दौड़ रहा था। मैं किसे बना देता? उस समय अगर मैं कार्यकारी बना रहता तो चुनाव नहीं हारता। लेकिन अब गलती मेरी मानूंगा। मैंने उस समय न कर दी। इस बात पर कार्यकर्ता खूब हंसे। पूर्व मंत्रीजी ने इसके साथ ही अपनी ही पार्टी की भी पोल खोल दी। नए जिलाध्यक्ष को सीधी चेतावनी दी- कुछ नेता आपके खिलाफ दिल्ली में जुट गए हैं। सावधान रहिएगा। हर पोल माननीय ने दिल से खोली, लेकिन जब लोकसभा चुनाव में हार का जिक्र किया तो बात पलटकर बोले- वोट चोरी के कारण हारा। 3. जयपुर में SIR का काम पूरा होने पर विधायक भी नाचे गाड़ी की सर्विस अगर लंबे समय तक न हो तो कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं। अधिक तेल खाने लगती है। भरोसेमंद नहीं रहती। कहीं भी रुक सकती है। मुकाम पर पहुंचने में संदेह रहता है। विधायक महोदय SIR पर बोल रहे थे। लेकिन शायद महोदय की जानकारी SIR से ज्यादा गाड़ियों को लेकर है। जब जमवारामगढ़ (जयपुर) में SIR का काम पूरा हो गया तो सोशल मीडिया की रस्म के अनुसार उन्हें लगा कि यह कोई जश्न का विषय है और जरूर ही इस पर जश्न होना चाहिए। उन्होंने जश्न का इंतजाम किया। डीजे मंगवाया। एसडीएम को बुलाया। सभी बीएलओ को बुलाया। फिर कुर्ते के साथ हाफ जैकेट और मफलर के जाने-माने अंदाज के साथ मौके पर पहुंच गए। हिंदी-इंग्लिश, हरियाणवी, मीणावाटी, ढूंढाड़ी हर तरह के गीत पर विधायक जी दोनों हाथ उठाकर खूब नाचे। तालियां बजाकर जोश बढ़ाया। SIR पर बोलने की बारी आई तो कहा- जिस प्रकार हम गाड़ी की सर्विस करवाते हैं, उसी प्रकार निर्वाचन आयोग ने हमारे मतदाताओं का SIR कर दिया है। 4. चलते-चलते… कर शपथ…कर शपथ। अग्निपथ..अग्निपथ। यह फिल्मी पंक्तियां आधुनिक दौर की शादियों पर परफेक्ट बैठती हैं। शादी होना आसान हो गया है, लेकिन शादी टिकना बड़ी मुश्किल। हनीमून के नाम से नए दूल्हों की रूह कांपती है। नीला ड्रम देखकर वर के देवता पानी मांगते हैं। सोशल मीडिया के दौर में अपने साथी की चैट तक पकड़े जाने पर शादियां टूट रही हैं। बाड़मेर में दूल्हा-दुल्हन ने मंच पर संविधान की शपथ ली और विवाह किया। हालांकि फेरों के वक्त पंडितजी 7 जन्मों तक की शपथ दिला देते हैं। कभी वचन देने पड़ते हैं। चूंकि ये मौखिक होते हैं। इसलिए वचन कभी-कभार लोग तोड़ देते हैं। जो संविधान 75 साल से टिका हुआ है, जिसमें संशोधन होते रहे लेकिन उसे खत्म नहीं किया जा सका। नए जोड़े ने नए सफर पर मजबूत कदम रखने के लिए नई रस्म ईजाद की है। दंपती में आगे जरा भी खटपट हुई तो घरवाले संविधान की दुहाई देंगे। वीडियो देखने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब कल मुलाकात होगी…

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