अफजल-विहार कॉलोनी में चल रहा था नकली घी का कारखाना:पुलिस ने हजारों लीटर फर्जी घी, रैपर, पैकिंग मशीनें बरामद कर किया पर्दाफाश; मुख्य आरोपी हनीष गिरफ्तार

डीएसटी टीम जयपुर-उत्तर और पुलिस थाना जयसिंहपुराखोर ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए मंगलवार को मानपुर, सड़वा स्थित अफजल विहार कॉलोनी में चल रहे नकली घी के कारखाने पर छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान बड़ी मात्रा में खुला नकली घी तैयार अवस्था में मिला। पुलिस ने मौके से मुख्य आरोपी हनीष (36 साल) को गिरफ्तार कर भारी मात्रा में उपकरण व ब्रांडेड पैकिंग सामग्री जब्त की। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने टबों में भरा 1380 लीटर नकली घी, 194 लीटर महान घी, 450 लीटर सरस घी, 390 लीटर रिफाइंड सोयाबीन तेल, वनस्पति तेल, अमूल ब्रांड के 24 खाली टीन, कृष्णा घी के 3400 रैपर, महान घी के 1600 रैपर, 1400 पैकिंग थैलियां, सरस ब्रांड की 100 थैलियां सहित पाउच पैकिंग मशीन, इलेक्ट्रिक कांटा, बड़े भगौने, गैस सिलेंडर, चूल्हे व अन्य सामग्री बरामद की। माफिया विभिन्न ब्रांड की पैकिंग में नकली घी तैयार कर बड़ी मात्रा में बाजार में बेच रहे थे डीसीपी नॉर्थ करन शर्मा (IPS) ने बताया- कुछ माफिया विभिन्न ब्रांड की पैकिंग में नकली घी तैयार कर बड़ी मात्रा में बाजार में बेच रहे थे। इस पर प्रभावी कार्रवाई हेतु अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रथम नीरज पाठक (RPS) और एसीपी आमेर सुरेन्द्र राणावत (RPS) के सुपरविजन में डीएसटी प्रभारी दिलीप कुमार सोनी और थाना जयसिंहपुराखोर थानाधिकारी राजेश शर्मा के नेतृत्व में टीम गठित कर छापेमारी की गई। अफजल विहार कॉलोनी में नकली घी तैयार किया जा रहा था मुखबिर सूचना एवं तकनीकी निगरानी के आधार पर टीम जब अफजल विहार कॉलोनी में पहुंची तो कारखाने में विभिन्न ब्रांड के नाम से नकली घी तैयार किया जा रहा था। मौके पर बुलाए गए जयपुर डेयरी के प्रयोगशाला सहायक सुमित कुवांडा ने जांच में पुष्टि की कि बरामद घी डेयरी का मूल उत्पाद नहीं है और पैकिंग भी असली पैकिंग से भिन्न है। आरोपी हनीष सुभाष शर्मा के साथ मिलकर नकली घी का निर्माण और बिक्री कर रहा था पुलिस ने मौके से मुख्य आरोपी हनीष (36 वर्ष) पुत्र कल्लू खाँ, निवासी अफजल विहार कॉलोनी को गिरफ्तार किया। उसने पूछताछ में बताया कि वह सुभाष शर्मा नामक व्यक्ति के साथ मिलकर नकली घी निर्माण और बिक्री का कारोबार संचालित कर रहा था। इस संबंध में पुलिस थाना जयसिंहपुराखोर में बीएनएस, कॉपीराइट एक्ट और ट्रेड मार्क एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे अनुसंधान किया जा रहा है।

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