देश के युवा निवेश के मामले में शेयरों (इक्विटी) से जुड़े प्रोडक्ट्स को तरजीह दे रहे हैं। इनके निवेश की मौजूदा रफ्तार बनी रही तो अगले 10 साल में म्यूचुअल फंड्स की संपत्ति करीब चार गुना और डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स 7 गुना हो जाएगी। इसमें 18-34 साल के युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका होगी, जो अभी SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में सबसे ज्यादा निवेश कर रहे हैं। बेन एंड कंपनी और ग्रो की ‘हाउ इंडिया इन्वेस्ट्स 2025’ रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2035 तक म्यूचुअल फंड्स की कुल संपत्ति (AUM) 300 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल जाएगी। ये अभी करीब 80 लाख करोड़ है। साथ ही, डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स 250 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचेंगी, जो अभी 35 लाख करोड़ से कुछ ही ज्यादा है। तब तक देश में म्यूचुअल फंड्स की पहुंच 20% हो जाएगी, जो अभी करीब 10% ही है। देश की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में 5 साल में ये 4 बड़े बदलाव आए लॉन्ग टर्म में ज्यादा फायदा: इक्विटी से 20 सालों में 16% रिटर्न ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि 5-7 साल की लंबी अवधि का इन्वेस्टमेंट होराइजन निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने और चक्रवृद्धि ब्याज की ताकत का लाभ उठाने में मदद कर सकता है। एक स्टडी के मुताबिक भारतीय इक्विटी फंड्स ने सभी एसेट क्लास से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 20 वर्षों में 16 फीसदी दिया है। निवेश के तरीकों में बदलाव से 7 लाख नए जॉब पैदा होंगे रिपोर्ट के मुताबिक निवेश के तरीके में बदलाव से आगामी वर्षों में 7 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। घरेलू पैसा बढ़ने से शेयर बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के आने-जाने से कम प्रभावित होगा। बेन के राकेश पोजाथ कहते हैं, ‘हम खुदरा निवेश के नए, समावेशी युग में प्रवेश कर रहे हैं, जो 10 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की नींव बनेगा।’ ये भारत की आर्थिक तरक्की को फाइनेंस करने वाली क्रांति रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 80% इक्विटी निवेशक और 35% म्यूचुअल फंड निवेशक अब डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं। इनमें आधे टियर-2 और उससे भी छोटे शहरों से हैं। बेन के सौरभ त्रेहन ने कहा, ‘लंबी होल्डिंग और SIP से भारत में निवेशक आधार गहरा हो रहा है। ये भारत की ग्रोथ को फाइनेंस करने वाली क्रांति है।’


