गुटखा कारोबारी किशोर वाधवानी द्वारा 2017 से 2020 के बीच सिगरेट और पान मसाले के अवैध निर्माण और बिक्री के माध्यम से की गई टैक्स चोरी में अंततः केन्द्रीय जीएसटी ने वाधवानी के एलोरा टोबैको के विरुद्ध 1946 करोड़ रुपए की डिमांड का आदेश पारित किया है। इससे पहले फरवरी 2025 में अन्य आरोपियों के खिलाफ आदेश पारित हो चुका है। 76 करोड़ की सेंट्रल एक्साइज चोरी के मामले में डिमांड का आदेश आना शेष है। कुल टैक्स चोरी 2000 करोड़ रुपए की है। यह आदेश 2020 में डीजीजीआई के ऑपरेशन कर्क के तहत की गई जांच के आधार पर एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी – जॉइंट कमिश्नर योगेश उंडे द्वारा पारित किया गया है। संभवतः ये मप्र में किसी भी कारोबारी के विरुद्ध जारी होने वाला सबसे बड़ी राशि का आदेश है। वाधवानी के काले धंधों की जांच 2019 में डीजीजीआई ने शुरू की थी और इसी साल उसके ठिकानों पर छापे मारकर सभी सबूत और दस्तावेज भी जब्त किए थे। इस दौरान वाधवानी के समर्थकों ने पुलिस के साथ मारपीट भी की थी। मामला एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के पास 2022 में आया जिसके बाद वाधवानी के विरुद्ध सुनवाई शुरू हुई। हालांकि जो सुनवाई एक साल में पूरी हो जानी थी, उसमें और समय मांगते हुए वाधवानी ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, जहां से कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए कार्रवाई करने के आदेश दिए। इस वजह से एक साल में पूरा होने वाला काम 3 साल में हुआ। अंततः अब आदेश पारित हो चुका है और एलोरा टोबैको और अन्य से वसूली की जा सकती है। इस आदेश को चुनौती देने के लिए अब वाधवानी और अन्य पक्षकारों को कमिश्नर के समक्ष अपील दायर करनी होगी। मामले में टैक्स चोरी और अवैध सिगरेट–पान मसाला कारोबार से जुड़े कई सहयोगियों और कंपनियों की संलिप्तता सामने आई है। आरोपी सूची में श्याम खेमानी, अनमोल मिश्रा, धर्मेंद्र पीठादिया, राजू गर्ग, शिमला इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, देवेंद्र द्विवेदी, विनायका फिल्टर्स प्रालि और विनोद बिदासरिया के नाम शामिल हैं। इसके साथ ही रमेश परिहार, टीएएन इंटरप्राइजेस, एसआर ट्रेडिंग, निश्का इंटरप्राइजेज, इंक फ्रूट, एमएन इंटरप्राइजेस, रानी प्रेस प्रालि, जौहर हसन और एनजी ग्राफिक्स एंड ब्लॉक मेकर्स भी इस प्रकरण में आरोपी बताए गए हैं। इन सभी संस्थाओं और व्यक्तियों ने वाधवानी के अवैध कारोबार में अलग-अलग स्तर पर भूमिका निभाई—किसी ने पैकेट तैयार किए, किसी ने फिल्टर इम्पोर्ट किए, तो कोई वितरण तंत्र और फर्जी बिलिंग में मदद करता था। साथ ही दबंग दुनिया अखबार के माध्यम से काली कमाई को छिपाने और सफेद करने का भी आरोप है। इस घोटाले में धोखाधड़ी को लेकर पुलिस ने अलग से केस दर्ज किया है। वहीं ईडी ने अगस्त में कार्रवाई करते हुए वाधवानी की 11 करोड़ 33 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क की थी। जमीन और फ्लैट के रूप में मौजूद इस संपत्ति का बाजार मूल्य करीब 20 करोड़ रुपये आंका गया है। इसके अलावा दबंग दुनिया में विज्ञापन बिलों के जरिये काले धन को वैध बनाने का एक मामला भी सेंट्रल कोतवाली थाने में लंबित है। यह पूरा नेटवर्क वाधवानी के अवैध कारोबार को मजबूत करने और टैक्स चोरी को छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल था। एलोरा टोबैको में ऐसी धांधली
सांवेर औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री ने सिगरेट बनाने का लाइसेंस लेकर क्षमता से कई गुना बड़ी मशीनें लगाईं। बिजली बचाने को डीजल जनरेटर चलाया। कच्चा माल और तैयार सिगरेट बाथरूम की खिड़की से अंदर–बाहर होती थी। रात में उत्पादन होता और दबंग दुनिया के डिलीवरी वाहनों से सप्लाई की जाती। जीएसटी अधिकारियों को दिखाने के लिए थोड़ी माल मुख्य द्वार से भेजते थे। दो ब्रांड गांव में बिना बिल के बिकते थे।


