छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कस्टम मिलिंग स्कैम में आरोपी दीपेन चावड़ा पर लोकसेवकों की ओर से 20 करोड़ रुपए की राशि मिलर्स से वसूलने का आरोप है। इस संबंध में ठोस सबूत ACB-EOW की टीम को मिले हैं। ब्यूरो में दर्ज अपराध क्रमांक 01/24 में दीपेन चावड़ा को अनवर ढेबर का करीबी सहयोगी बताया गया है। टीम ने दीपेन चावड़ा के खिलाफ मंगलवार को कोर्ट में चालान पेश किया। वह नवंबर 2025 में रायपुर से गिरफ्तार किया गया था। बड़े नेटवर्क का था हिस्सा ACB-EOW की जांच के अनुसार, चावड़ा सिर्फ इस स्कैम में ही नहीं, बल्कि विभाग में दर्ज अन्य मामलों में भी लगभग 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध धनराशि का ‘प्रबंधक’ था। वह बड़े नेटवर्क का हिस्सा बनकर रकम के संग्रह, प्रबंधन और आगे पहुंचाने का काम करता था। 2025 में सामने आया था घोटाला कस्टम मिलिंग घोटाला फरवरी 2025 में सामने आया था। इसमें तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसके बाद अक्टूबर 2025 में अनवर ढेबर और आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के खिलाफ भी विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में चालान पेश किया जा चुका है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, चावड़ा से जब्त दस्तावेज और डिजिटल सबूत यह संकेत देते हैं कि चावल मिलिंग के नाम पर बड़ी मात्रा में कमीशन वसूला जाता था। इस रकम को व्यवस्थित रूप से अलग-अलग चैनलों के जरिए पहुंचाया जाता था, जिसमें चावड़ा का प्रमुख रोल था। EOW का मानना है कि चावड़ा की गिरफ्तारी और चालान से इस स्कैम में शामिल बड़े खिलाड़ियों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। आगे पूछताछ में और बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है। EOW की चार्जशीट में पूर्व IAS पर साजिश रचने का दावा इस बैठक में IAS अनिल टुटेजा ने खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में 104 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान लगाया। उन्होंने रोशन चंद्राकर के साथ मिलकर खाद्य सचिव को चावल का केंद्रीय कोटा मांगने के निर्देश दिए। जबकि 2020-21 में 24 लाख मैट्रिक टन का कोटा ही मिलरों की तरफ से पूरा करना मुश्किल हुआ था। अनुमानित उपार्जन के समाधान के लिए कस्टम मिलिंग में मिलरों को विशेष प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की योजना बनाई गई, जिससे कथित रूप से अवैध वसूली की जा सके। वसूली के लिए टुटेजा ने मिलर्स संघ पर दबाव डाला-EOW EOW का आरोप है कि, अनिल टुटेजा ने मार्कफेड में वसूली सुनिश्चित करने के लिए राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पर दबाव बनाया। इसी उद्देश्य से तत्कालीन कोषाध्यक्ष नरेश सोमानी को हटवाकर रोशन चंद्राकर को उस पद पर नियुक्त किया गया। 140 करोड़ की वसूली, विरोध करने वालों के मिलों पर छापे चार्जशीट के अनुसार, रोशन चंद्राकर ने पदभार संभालने के बाद राइस मिलर्स से घूम-घूमकर वसूली की। जो कारोबारी पैसे देने से पीछे हटे, उनके खिलाफ कार्रवाई कराई गई। बोरी और कार्टून में राजीव भवन जाता था कमीशन का पैसा EOW की चार्जशीट के मुताबिक, कस्टम मिलिंग का कमीशन रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर के माध्यम से वसूला जाता था। इस काम की जिम्मेदारी रोशन चंद्राकर और शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को सौंपी गई थी, जिन्होंने हर जिले में एजेंट नियुक्त किए। वसूली की रकम बीटीआई मैदान, पाम बैलेजियो और बनियान ट्री जैसे होटलों में लाई जाती थी। हर बार पैसे छोड़ने की जगह बदली जाती थी। एजेंट वहां रकम छोड़ते और फिर यह राशि जेल रोड और शंकर नगर स्थित होटल में पहुंचाई जाती, जहां से टुटेजा तक जाती थी। EOW का आरोप है कि यहीं से सभी के हिस्सों में बंटवारा होता था। आरोप है कि एक हिस्सा कांग्रेस के राजीव भवन में भेजा जाता था, जिसे पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल द्वारा लिया जाता था। पैसा बोरियों और कार्टून में भरकर भेजा जाता था ताकि संदेह न हो। EOW का आरोप है कि अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा ने पद का दुरुपयोग करते हुए करीब 22 करोड़ रुपए कमीशन के रूप में वसूले। यह राशि कांग्रेस पार्टी के फंड में भी जाने का उल्लेख है। पूरे घोटाले में कुल 140 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली हुई। जिन कारोबारियों ने इसका विरोध किया, उनके मिलों में छापेमारी कराई गई। BJP विधायक शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा 6 मार्च 2023 को विधानसभा में बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कस्टम मिलिंग में प्रति टन 20 रुपए की अवैध वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि केवल उन्हीं राइस मिलर्स को भुगतान किया जाता है जो वसूली की राशि देते हैं। इस पर तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर ने विधायक से सबूत मांगे थे, जिसके बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ।


