झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड भवन दिल्ली में ठहरने का मामला उठाया। जहां उन्होंने बताया कि मंत्रीमंडल सचिवालय निगरानी विभाग के एक आदेश में कहा गया है कि दिल्ली के झारखंड भवन में उन्हीं लोगों को कमरा मिलेगा जो माननीय के सगे संबंधी होंगे। उन्होंने इस आदेश को लेकर आपत्ति दर्ज करने को कहा। साथ ही आदेश को वापस लेने की भी बात कही। बाबूलाल मरांडी ने इस आदेश को हास्यास्पद भी कहा। इस पर मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि इस पर विचार सरकार करेगी। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि दिल्ली में ऊर्जा विभाग का गेस्ट हाउस है। जिस पर पांच लाख का खर्च होता है। पुराना झारखंड भवन भी है। इसकी जानकारी भी सरकार ले। बिरसा मुंडा के नाम पर हो रांची राजभवन इसके बाद सदन में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सदन में कहा राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। परंतु संविधान के अनुच्छेद 154 के अंतर्गत राज्य कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित है। इस तरह राज्यपाल का पद राज्यपद होता है। राज्यपाल के कार्यालय से राज्य का कार्य संपादित किया जाता है। राजभवन राज्य की संपत्ति होती है। इस पर राज्य का अधिकार होता है। ऐसे में इसके नामांकन का अधिकार राज्य सरकार का होता है। मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने प्रस्ताव किया कि रांची राजभवन का नाम भगवान बिरसा के नाम पर बिरसा भवन और दुमका स्थित राजभवन को सिद्धो कान्हू भवन किए जाए।


