कोटपूतली में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित 181 किलोमीटर लंबे कोटपूतली-किशनगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का विरोध तेज हो गया है। कोटपूतली तहसील के 14 प्रभावित गांव सहित इस मार्ग पर पड़ने वाले किसान एक्सप्रेसवे के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। किसानों ने ‘जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे’ का नारा दिया है और गांव-गांव में संकल्प पत्र तैयार कर आमजन को जागरूक किया जा रहा है। चेतना रैली निकालेंगे किसान इसी क्रम में किसान महापंचायत के तत्वावधान में प्रभावित किसानों द्वारा कोटपूतली से किशनगढ़ तक एक ‘चेतना रैली’ निकाली जाएगी। इस रैली में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लेकर एक्सप्रेसवे के प्रस्तावित मार्ग पर पदयात्रा की जाएगी। इस विरोध प्रदर्शन को लेकर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में मोरीजावाला धर्मशाला में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें रैली संयोजक व प्रदेश मीडिया प्रभारी सुरेश बिजरानियां, सरपंच संघ के पूर्व अध्यक्ष पुष्कर रावत, किसान नेता राकेश रावत, प्रदेश मंत्री महेश जाखड़, जिलाध्यक्ष बाबूलाल चौधरी व विरेन्द्र क्रांतिकारी, सुभाष यादव चुरी, सरजीत ढैया, संदीप यादव, डॉ. राम सिंह सुद, अशोक जाखड़, शंकर यादव, रोहिताश, बलवीर गुर्जर, इन्द्राज यादव सहित कई किसान नेता मौजूद रहे। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को रद्द करने की मांग प्रेस वार्ता में नेताओं ने राज्य सरकार से कोटपूतली-किशनगढ़ एक्सप्रेसवे सहित सभी 9 प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को रद्द करने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि कोटपूतली-किशनगढ़ मार्ग पर पहले से ही 225 किलोमीटर लंबा 6 लेन का राजमार्ग चालू है, जिससे यह नया एक्सप्रेसवे अनावश्यक है। नए एक्सप्रेसवे से केवल 44 किलोमीटर की दूरी कम होगी, जबकि इसके निर्माण में 6500 बीघा सिंचित भूमि का अधिग्रहण होगा और राज्य सरकार पर 9 से 10 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार पड़ेगा। 15 फीट ऊंचे एक्सप्रेसवे से किसानों को नुकसान किसान नेताओं ने बताया- 15 फीट ऊंचे प्रस्तावित एक्सप्रेसवे से स्थानीय किसानों और ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। इससे खाद संकट बढ़ेगा, गांव, किसान और खेत दो भागों में बंट जाएंगे और ग्रामीणों को आवागमन में भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। रामपाल जाट ने आरोप लगाया कि यह एक्सप्रेसवे केवल बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के पूंजीपति वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया जा रहा है।


