मुंबई वर्ली के नेहरू ऑडिटोरियम में शुक्रवार की शाम को ‘यादों की गीतमाला- दीपक कपाड़िया प्रेजेंट्स डाउन मेमोरी लेन’ का धूमधाम से आयोजन हुआ। यह खास कॉन्सर्ट बॉलीवुड के आइकॉनिक जोड़ी सुनील दत्त और नरगिस दत्त को समर्पित था। छह मशहूर गायकों अनिल बाजपेयी, गुल सक्सेना, मुख्तार शाह, कविता मूर्ति, आलोक कटारे और शैलजा सुब्रमणियम ने उनके दौर के सदाबहार गाने पेश किए। अजय मदन के संगीत निर्देशन में ये गीत नॉस्टेल्जिया की बाढ़ ला गए। प्रशांत राव ने शानदार कमेंट्री की, तो दुर्लभ फोटोज ने दर्शकों को सुनील-नरगिस के करीब ले जाकर छू लिया। पूरी कमाई नरगिस दत्त फाउंडेशन को जाएगी, जो 1981 से गरीब कैंसर मरीजों की मदद कर रहा है। प्रिया दत्त बोलीं- बचपन की फोटो सबसे खास प्रिया दत्त ने कहा- आज की शाम बहुत स्पेशल है। जब हम यादों की गीत माला कह रहे हैं, तो ये शाम सिर्फ यादों से भरी है। जो गाने हैं, यहां दिखाए गए। उन गानों के साथ उनकी लाइफ के बहुत सारे किस्से भी शामिल हैं। जितने भी लोग इसे यहां देखने आए, वो उनकी लाइफ की जर्नी गीतों के साथ को देखे। सबसे बड़ी बात है कि आज की शाम का कार्यक्रम हाउसफुल रहा, इससे जाहिर होता है कि आज की युवा पीढ़ी भी उन गानों को कितना पसंद करती है। मिसेज दत्त और डार्लिंग जी बुक में शामिल खास पिक्चर्स के बारे में प्रिया दत्त ने कहा- यहां जो बहुत सारे फोटोग्राफर्स और छोटे वीडियो शामिल किए गए, वैसे लोगों ने पहले कभी नहीं देखे हैं। सबसे खूबसूरत फोटो पर बात करते हुए प्रिया दत्त ने कहा- मुझे लगता है कि हमारी जो बचपन की फोटो है, वो बेहद खास है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था कि हमने अपनी मां के साथ बहुत कम समय बिताया। मैं जब 14 साल की थी, जब मेरी मां गुजरीं। ऐसे में वो जो फोटो और वीडियो हैं, वो मेरे दिल के सबसे करीब हैं। ‘मेरा साया’ का गीत मम्मी पापा की याद दिलाती है गानों पर बात करते हुए प्रिया दत्त ने कहा- हम छोटे थे। हमें मां की फिल्म ‘पड़ोसन’ के गाने बहुत पसंद आए। पापा का एक गाना था ‘मेरा साया’, मां के गुजरने के बाद हम लोग उस गाने से जुड़ाव महसूस करने लगे। क्योंकि वो गाना पापा को मां की याद दिलाता है। नरगिस दत्त के जाने के बाद प्रिया दत्त ने पहली बार अपनी मां को सिर्फ मां नहीं, एक अदाकारा के रूप में देखना शुरू किया। वह बताती हैं कि जब नरगिस जी बीमार थीं, तब उन्होंने उनकी ज्यादा फिल्में नहीं देखी थीं। लेकिन उनके गुजर जाने के बाद उन्होंने कुछ चुनिंदा फिल्में देखीं। जिनमें आईकॉनिक ‘मदर इंडिया,’ हल्की-फुल्की रोमांटिक ‘चोरी-चोरी’ और गहराई से भरी फिल्म ‘रात और दिन‘ शामिल हैं। मां की फिल्म ‘रात और दिन’ दिल के सबसे करीब प्रिया के दिल के सबसे करीब फिल्म ‘रात और दिन’ है। वह कहती हैं- यह बहुत अलग तरह की फिल्म थी, जिसमें नरगिस ने सिजोफ्रेनिया महिला का किरदार निभाया था। एक ही इंसान के भीतर दो अलग-अलग पर्सनैलिटी। यह चुनौतीपूर्ण रोल और उसकी संवेदनशील प्रस्तुति प्रिया को बहुत प्रभावित करती है। इसके अलावा ‘अंदाज’ को वह उनकी एक और समय से आगे की फिल्म मानती हैं। वह मानती हैं कि नरगिस ने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाकर खुद को एक बहुमुखी कलाकार साबित किया। इसी तरह यादों की गलियों से गुजरती एक और कहानी है, ‘यादों की गीतमाला’ की। जब दीपक कपाड़िया यह आइडिया लेकर प्रिया दत्त के पास पहुंचे, तो उनके मन में पहला सवाल यही था कि क्या लोग आज भी पुराने गाने सुनते हैं? दीपक ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके शो हमेशा हाउसफुल रहते हैं। प्रिया ने तय किया कि वह एक बार जाकर खुद देखती हैं। हॉल नॉस्टेल्जिया से भरा था और हर धुन में एक दौर की खुशबू थी शो के दिन उनका इरादा था कि थोड़ी देर रुककर निकल जाएंगी, लेकिन माहौल कुछ ऐसा था कि वह उठ ही नहीं पाईं। लोग एक सुर में पुराने गाने गा रहे थे, हॉल नॉस्टेल्जिया से भरा था और हर धुन में एक दौर की खुशबू थी। प्रिया कहती हैं, सब कुछ इतना सुंदर और भावनात्मक था कि उन्होंने पूरा शो देखा। शो खत्म होने के बाद उन्होंने दीपक कपाड़िया से कहा कि क्यों न उनके माता-पिता नरगिस और सुनील दत्त के गानों पर एक खास शो किया जाए। इस शो को उन्होंने सिर्फ गानों तक सीमित रखने के बजाय थोड़ा अलग तरीके से प्लान किया। गानों के बीच में फोटो और वीडियो के जरिए उनके माता-पिता की जर्नी दिखाने का आइडिया सामने आया। प्रिया ने यह भी फैसला किया कि इसे सिर्फ एक शहर तक नहीं, बल्कि अलग-अलग शहरों में ले जाया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस विरासत से जुड़ सकें। पेरेंट्स से मिलती है एनर्जी अपनी निजी जिंदगी के दुखों के बीच भी प्रिया दत्त जिस ऊर्जा के साथ काम करती हैं, वह भी उनके माता-पिता की ही देन है। हाल ही में सासु मां के निधन जैसी व्यक्तिगत क्षति के बावजूद वह नरगिस दत्त फाउंडेशन के जरिए कैंसर पेशेंट्स, बच्चों की शिक्षा और अब एनिमल वेलफेयर के लिए लगातार सक्रिय हैं। वह साफ कहती हैं, उनकी एनर्जी उन्हें उनके पेरेंट्स से मिलती है। प्रिया याद करती हैं कि उनकी मां हमेशा कहती थीं कि कोई भी दुख आए, काम नहीं रुकना चाहिए। खासकर वह काम, जो लोगों की भलाई के लिए किया जा रहा हो, उसे चलते रहना बहुत जरूरी है। यही सोच नरगिस दत्त फाउंडेशन के हर काम में दिखती है। फाउंडेशन पिछले करीब 40 साल से कैंसर पेशेंट्स के लिए काम कर रहा है और अब बच्चों की पढ़ाई में भी मदद कर रहा है। आज लगभग 500 बच्चों को स्कॉलरशिप मिलती है और इनमें से कई स्टूडेंट्स बड़ी कंपनियों में अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं। इन सफलताओं को देखकर प्रिया को गहरी संतुष्टि मिलती है। अच्छा काम करते रहना ही असली श्रद्धांजलि है जब उनसे पूछा जाता है कि लोग उनमें नरगिस जी और सुनील दत्त जी की झलक देखते हैं, तो वह बेहद विनम्र हो जाती हैं। वह कहती हैं कि यह बात सुनकर वह बहुत हंबल और प्राउड महसूस करती हैं। प्रिया मानती हैं कि वह कभी भी अपने माता-पिता की जगह नहीं ले सकतीं, लेकिन उनकी वैल्यूज को फॉलो करके, अपनी क्षमता के अनुसार अच्छा काम करते रहना ही उनकी असली श्रद्धांजलि है। स्पेशल गेस्ट्स ने साझा कीं यादें स्पेशल गेस्ट वहीदा रहमान ने कहा- यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। पुरानी यादें ताजा हो गईं। सुनील दत्त के साथ मैंने पांच फिल्में कीं। नरगिस जी से मेरी गहरी दोस्ती थी। जब भी वो विदेश या शूटिंग पर आतीं, तो हम साथ बैठकर खूब बातें करते और हंसते थे। आज सारी यादें ताजा हो गईं। प्रिया दत्त मेरे सामने पैदा हुई। संजू (संजय दत्त) के जन्म के समय मैं घर गई थी। इस घर से मेरा बहुत पुराना नाता है, इसलिए आज आना ही था। कैंसर सर्वाइवर अभिनेत्री मनीषा कोइराला, जो फिल्म ‘संजू’ में नरगिस दत्त का किरदार निभा चुकी हैं। अपनी मां सुषमा कोइराला के साथ मौजूद रहीं। मनीषा कोइराला ने कहा- मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं। प्रिया जी ने मुझे कॉल किया तो मैं यहां चली आई। यह फाउंडेशन लीजेंडरी नरगिस दत्त जी के नाम पर है और बहुत अच्छा काम कर रही है। यह कैंसर पेशेंट्स को बहुत सपोर्ट देते हैं। मुझे पता है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं, उनके लिए सपोर्ट कितना जरूरी होता है। यह संस्था सालों से कैंसर पेशेंट्स के लिए काम कर रही है, इसके लिए मैं प्रिया जी को दिल से धन्यवाद देती हूं।


