छत्तीसगढ़ नान घोटाला केस में फंसे पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। उनके एडवोकेट ने FIR पर सवाल उठाते हुए कहा कि, महाधिवक्ता के खिलाफ असंवैधानिक रूप से केस दर्ज किया गया है। वहीं, शासन ने जवाब में कहा कि, मामले में पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए हैं। जिसके बाद ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। अब इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई। सतीश चंद्र वर्मा के वकील ने रखा पक्ष इस दौरान शासन की तरफ से केस डायरी पेश की गई। जिस पर बहस करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी ने तर्क दिया। उन्होंने कहा कि, राज्य शासन ने 2018 में संशोधित नियम लागू किया है। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि चूंकि, महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल ने की है। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए धारा 17(A) के तहत अनुमति जरूरी है। लेकिन, इस केस में सरकार ने कोई अनुमति नहीं ली है। सीधे तौर पर केस दर्ज किया है। यह भी तर्क दिया गया कि नान घोटाले का केस साल 2015 का है। जिसमें अब FIR दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और चैट की बात करें, तो इसमें भी तीन साल हो गया है। तब तक सरकार क्या कर रही थी। उन्होंने इस केस को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताते हुए याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया है। शासन का जवाब- पर्याप्त सबूत जुटाकर दर्ज की गई FIR शासन ने जवाब में कहा कि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर चुकी है। जिसमें छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में शामिल दो सीनियर IPS अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज किया है। ED की जांच में पता चला है कि, अक्टूबर 2019 में दोनों आरोपी अफसर जमानत देने वाले एक न्यायाधीश के संपर्क में थे। तब तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा इन तीनों के बीच संपर्क बनाए हुए थे। ED की जांच रिपोर्ट और साक्ष्य के आधार पर ही याचिकाकर्ता के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जिस तरह से संवैधानिक पद पर रहते हुए आरोपी अफसरों के साथ मिलकर षडयंत्र किया गया है, इससे केस में उनकी संलिप्तता स्पष्ट है। सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल कोर्ट से खारिज हो चुकी है अग्रिम जमानत पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने EOW/ACB की FIR के बाद अग्रिम जमानत के लिए रायपुर की स्पेशल कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी। जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी से पहले जमानत देने की मांग की थी। इस दौरान लंबी बहस चली, जिसके बाद स्पेशल कोर्ट की जज निधि शर्मा ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज करते हुए कहा था कि अपराध में आरोपी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिनके सहयोग के बिना आपराधिक षडयंत्र को अंजाम देना संभव नहीं था।