अच्छी खबर…:सुप्रीम कोर्ट व 25 हाई कोर्ट में हिंदी और दूसरी भाषाएं बनाने ​​​​​​​लगीं​​​​​​​ जगह, अब तक 1 लाख से अधिक फैसलों का अनुवाद हुआ

सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के करीब सभी हाई कोर्ट अब स्थानीय भाषाओं में फैसले मुहैया करवाने लगे हैं। लंबे समय से मांग थी ​कि शीर्ष अदालतों में अंग्रेजी की जगह हिंदी का उपयोग हो। संवैधानिक व्यवस्था और दूसरे कारणों से ऐसा कर पाना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन फैसलों की अनुवादित कॉपी उपलब्ध कराए जाने से पक्षकारों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने तक 18 भाषाओं में 73,963 फैसले अपलोड किए हैं। इसमें हिंदी के 36,302 फैसले शामिल हैं। जबकि 25 हाई कोर्ट ने 30,944 फैसले उपलब्ध कराए हैं। संविधान के अनुच्छेद 348(1)(ए) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट की कार्रवाई अंग्रेजी भाषा में होगी। अनुच्छेद 348(2) में प्रावधान है कि राष्ट्रपति की सहमति से संबंधित राज्य का राज्यपाल हाई कोर्ट की कार्रवाई के लिए हिंदी या राज्य की भाषा को अधिकृत कर सकता है। लेकिन अड़चनों के चलते ऐसा नहीं हो सका। इधर, हिंदी समेत देश की अन्य भाषाओं में फैसले देने की मांग तेज होती गई। इसका आधार भी संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 को बनाया गया, जिसके तहत पक्षकार को अदालत की कार्रवाई में शामिल होने, उसे समझने का मौलिक अधिकार माना गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में अंग्रेजी में दिए गए फैसलों का अनुवाद उपलब्ध करवाने की पहल की। इसी कड़ी में रिटायर्ड सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय भाषा समिति बनाई गई। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट एआई टूल से कर रहे अनुवाद
अंग्रेजी में दिए गए अहम फैसलों को सुप्रीम कोर्ट एआई टूल की मदद से हिंदी, पंजाबी, तमिल, तेलुगू,असमिया, बांग्ला समेत 18 भाषाओं में अनुवाद करा रहा है। इसके लिए बाकायदा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस असिस्टेड लीगल ट्रांसलेशन एडवाइजरी कमेटी बनाई गई है। सभी 25 हाई कोर्ट में ऐसी ही कमेटी बनाई गई है। यहां इतिहास: रिटायर्ड जस्टिस स्व. फखरुद्दीन ने 2002 में छत्तीसगढ़ी में अपना फैसला सुनाया था छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस स्व. फखरुद्दीन ने 8 जनवरी 2002 में छत्तीसगढ़ी में फैसला देकर इतिहास रच दिया था। उन्होंने एक मामले में महिला को जमानत दी थी। दोनों पक्षों ने इस मामले में छत्तीसगढ़ी में बहस की थी। जस्टिस फखरुद्दीन ने उनकी भावनाओं को समझते हुए अपना फैसला भी छत्तीसगढ़ी में ही दिया। हालांकि तब से छत्तीसगढ़ी में कोई भी कोर्ट आदेश–निर्णय नहीं दिया गया। 2014 में चीफ जस्टिस यतींद्र सिंह ने हिंदी में पहला आदेश देना शुरू किया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अब तक 1136 आदेश के हिंदी अनुवाद अपलोड कराए। सुप्रीम कोर्ट में सबसे अधिक हिंदी अनुवाद भास्कर एक्सपर्ट – जस्टिस वेद प्रकाश शर्मा (रिटा.), मध्यप्रदेश हाई कोर्ट शीर्ष अदालतों की ओर से भारतीय भाषाओं में फैसले मुहैया कराना अहम
सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हिंदी और दूसरी अनरू भारतीय भाषाओं में फैसले का अनुवाद करना न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी और जनता के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब न्यायालय के निर्णय जनता की भाषा में होते हैं, तो वे न्यायिक प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। स्थानीय भाषाओं में कानूनी प्रक्रियाओं और निर्णयों को समझना लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाएगा। यह भारत की विविधता का सम्मान करने का एक तरीका है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को न्याय मिल सके। कोर्ट के आदेश को लोग जितना ज्यादा समझेंगे, उतना बेहतर रहेगा।

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