भास्कर न्यूज | अमृतसर डेढ़ साल पहले गोल्डन गेट में अवैध निर्माण की शिकायत पर नगर निगम के एमटीपी विभाग ने बिल्डिंग सील कर दी थी। लेकिन निगम अफसरों की मिलीभगत से सील की गई इस बिल्डिंग में काम चलता रहा। जहां अब होटल बनकर तैयार हो चुका है। शिकायतकर्ता भूलिंदर सिंह निवासी माता गंगा भाई खूह मंझ साहिब ने 6 माह पहले जुलाई 2024 को लोकल बॉडी विभाग के चीफ विजिलेंस अफसर (सीवीओ), प्रिंसिपल सेक्रेटरी, डायरेक्टर और निगम कमिश्नर को शिकायत भेजी थी। इसके बाद एमटीपी विभाग के अफसरों को रिपोर्ट सौंपने के लिए लेट र जारी हुआ। 4 माह बाद भी अफसरों ने रिपोर्ट नहीं दी । शिकायतकर्ता ने 10 जनवरी को फिर रिमाइंडर भेजा कि होटल बनकर तैयार हो चुका है। इस पर लोकल बॉडीज विभाग से अब फिर से रिपोर्ट मंगवाने के लिए लैटर जारी हुआ है। जिसमें विजिलेंस ब्यूरो पंजाब की तरफ से बीते 2 सितंबर 2024 और अक्टूबर 2024 को जारी पत्र का हवाला देते हुए असिस्टेंट टाउन प्लानर राजीव राज को 20 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने के लिए पाबंद किया गया है। शिकायतकर्ता के मुताबिक डेढ़ साल पहले जब निर्माण कार्य शुरू हुआ था, तो इसकी शिकायत की थी। एमटीपी विभाग के अफसरों को लगातार इसकी सूचना भी देते रहे कि अवैध तरीके से निर्माण कार्य चल रहा है। यही नहीं बिल्डिंग सील होने के बाद भी अफसरों को सूचित किया। लेकिन उनकी शिकायतों को जानबूझकर अनदेखा कर दिया गया। लोकल बॉडी विभाग से लैटर-बाजी तो चलती रही लेकिन जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा गया। रिपोर्ट मंगवाने का खेल ही चलता आ रहा है। जिस सुस्त गति से निगम व लोकल बॉडी विभाग की कार्रवाई चलती है, इससे अवैध बिल्डिंग बनाने वालों मिलीभगत को इन्कार नहीं किया जा सकता। नगर निगम की कार्यशैली में सुधार व गड़बड़ियों पर नकेल कसने के लिए अफसरों के तबादले तो हो रहे लेकिन सिस्टम भगवान भरोसे ही चला आ रहा है। 4 दिन पहले खंडवाला में एक दुकान को निगम के प्रॉपर्टी टैक्स विभाग की टीम सील कर गई थी। लेकिन महज 15 मिनट में ही सील तोड़कर दुकान खोल दिया गया। जिसके बाद अगले दिन फिर से टीमें दुकान सील करने पहुंची तो दुकान मालिक ने बकाया टैक्स का भुगतान करने के लिए चेक दे दिया था। जिसके बाद टीमें वापस आ गईं। जबकि नियम अनुसार सील तोड़ने के मामले में बनती कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि सील बिल्डिंग में निर्माण चलने की शिकायत बीते जुलाई 2024 में किए जाने के बाद लोकल बॉडी विभाग से 10 दिनों में नगर निगम से रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने रिपोर्ट भेजना जरूरी ही नहीं समझा। चंडीगढ़ हेडऑफिस में बैठे अफसरों की तरफ से रिपोर्ट नहीं भेजे जाने पर जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ विभागीय एक्शन तत्काल लिया जाता तो शायद होटल नहीं बन पाता। लेकिन इस मामले को कागजों में ही उलझाए रखा गया। शिकायतकर्ता ने दोबारा शिकायत की तो रिकॉर्ड पेश करने के लिए लैटर जारी किया गया है।