रेलवे का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र चरोदा में:बिलासपुर रेलवे जोन में 50 मेगावाट के संयंत्र से बन रही 72 लाख यूनिट बिजली

भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र बिलासपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तहत चरोदा (भिलाई) में स्थापित किया गया है। इस सौर ऊर्जा संयंत्र की विद्युत उत्पादन क्षमता 50 मेगावाट है। इसका उद्घाटन 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस संयंत्र के जरिए हर महीने 72 लाख यूनिट बिजली उत्पादित की जा रही है। जिसे अन्य रेलवे जोन भी इस्तेमाल के लिए भेजा जा रहा है। 122 हेक्टेयर क्षेत्र में 1.49 लाख सोलर मॉड्यूल दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई के पास चरौदा में 122 हेक्टेयर भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। संयंत्र में 1,49,464 सोलर मॉड्यूल (445/448/450/465/470wp (watt-peak) रेटिंग वाले), 13 इन्वर्टर (3.85 मेगावाट) और 15.4 मेगावाट एम्पियर और 3.85 मेगावाट एम्पियर रेटिंग वाले ट्रांसफॉर्मर शामिल हैं। यह संयंत्र 33 किलोवोल्ट तक विद्युत उत्पन्न करता है। जिसे 4.8 कि.मी. लंबी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से पूलिंग सब-स्टेशन तक पहुंचाया जाता है। 5936 कार्बन के उत्सर्जन में कमी का दावा आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 33 किलोवोल्ट विद्युत को 220 किलोवोल्ट्स में परिवर्तित कर पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड सब-स्टेशन (कुम्हारी, रायपुर) तक भेजा जाता है। यहां से इस विद्युत को 400 किलोवोल्ट्स तक बढ़ाकर इसे ट्रैक्शन में उपयोग के लिए पावर ग्रिड लाइन से जोड़ा गया है। जिसे अन्य ज़ोनल रेलवे में भी ऊर्जा खपत में इस्तेमाल किया जाता है। संयंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके माध्यम से हर महीने 5936 टन कार्बन के उत्सर्जन में कमी आई है। स्वचालित सफाई होती है संयंत्र के 122 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले होने के कारण इसकी सफाई और रखरखाव के लिए सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच का समय निर्धारित किया गया है। संयंत्र में स्वचालित सफाई प्रणाली विकसित की गई है। जिससे कम समय और न्यूनतम मानव संसाधन के साथ रखरखाव कार्य किया जाता है। रेल प्रशासन का दावा है कि यह सौर ऊर्जा संयंत्र न केवल रेलवे की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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