मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार के एक साल पूरे होने पर दिव्यांगजनों के मदद के लिए आयोजित कैंप में 1300 दिव्यांगजनों को 2017 इक्विपमेंट्स बांटे गए। यह कैंप चार दिन का था। भगवान महावीर विकलांग सेवा समिति, शाखा अजमेर और चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या द्वारा इस कैंप का आयोजन किया गया। यहां आए कुछ दिव्यांगों को नए इक्विपमेंट्स मिले तो कुछ जनों को नए हाथ और पैर मिले। कैंप के आखिरी दिन जिला कलेक्टर आलोक रंजन और एसडीएम बीनू देवल ने भी अवलोकन किया। साथ ही, जिला कलेक्टर ने सभी पीड़ितों से बातचीत भी की। 1300 दिव्यांगजनों को दिया गया इक्विपमेंट्स शिविर संयोजक रवि विरानी ने कहा कि रविवार को शिविर का आखिरी दिन होने के कारण बड़ी संख्या में दिव्यांगजन मौजूद थे। चार दिनों में 2017 इक्विपमेंट्स 1300 दिव्यांगजनों को बांटे गए। बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक ओमप्रकाश तोषनीवाल वाले भी कैंप में मौजूद रहकर दिशा निर्देश दिए हैं। टीम आक्या की ओर से लगातार चार दिनों तक काफी मेहनत की गई है। वीरानी ने बताया कि हमने कई दिव्यांगजनों को फोन पर या घर जाकर कॉन्टैक्ट किया है। यहां जो बिना रजिस्ट्रेशन के भी आए हैं उन्हें भी खाली हाथ लौटने नहीं दिया है। यहां आए दिव्यांगों उसी समय हाथ और पैर भी बनाए गए। कई जनों ने हमसे संपर्क किया है, उनके लिए भी हम एक दो महीने में सारी व्यवस्थाएं कर देंगे। जिला कलेक्टर और एसडीएम ने भी किया अवलोकन कैंप के संरक्षक अनिल ईनाणी ने बताया कि इस 4 दिन के कैंप में कुल 20 ब्लाइंड स्टिक, 121 जयपुर फुट, 48 आर्टिफिशियल हैंड, 364 कैलीपर, 158 वैशाखी, 556 कान की मशीन, 182 व्हीलचेयर, 342 ट्राईसाईकिल, 6 आर्टिफिशियल पैर, 215 बुजुर्ग को छड़ी दी गई है। यह सभी निशुल्क दिया गया है। शिव भगवान महावीर विकलांग सेवा समिति के अजमेर संभाग कोऑर्डिनेटर सुरेश मेहरा, शिविर प्रभारी कैलाश चंद्र शर्मा भी मौके पर मौजूद रहे। आज आखिरी दिन जिला कलेक्टर आलोक रंजन और एसडीएम बीनू देवल ने भी कैंप का अवलोकन किया। जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने इस कैंप की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने सभी दिव्यागजनों से बातचीत की। उनके हालात जानने की कोशिश की। टीम आक्या से इस कैंप में पूर्व उपसभापति भरत जागेटिया, भंवर सिंह, तेजपाल रेगर, ओम प्रकाश शर्मा, नवीन पटवारी, राजन माली, पंकज सेन, रेणु मिश्रा, विमला गटियानी, चांदनी गौड़, मीनू कंवर, रेखा शक्तावत, प्रेम कुमावत, ममता चौहान ओमप्रकाश जटिया सहित कई जनों ने यहां सर्विस दी है। पीड़ितों की कहानी उन्हीं की जुबानी मौके पर आए पीड़ितों और उनके परिजनों से भी जब बात की गई तो उन्होंने इसको लेकर खुशी जताई। केस 1 – गंगरार के जोड़ सिंह का खेड़ा निवासी नरेंद्र सिंह राठौड़ भी अपने पिता के साथ कैंप में आए। उन्होंने बताया कि उनके पिता केसर सिंह राठौड़ (62) हिंदुस्तान जिंक में वर्कर थे। फरवरी 2002 में प्लांट के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर ब्लास्ट होने के कारण उन्होंने अपना एक पैर खो दिया। 6 महीने तक उनका इलाज चलता रहा। कंपनी ने भी मुआवजा देने की बात कही लेकिन वापस पलट कर नहीं देखा। 2003 में जयपुर में जाकर उनका आर्टिफिशियल पैर बनवाया गया। हर चार साल में यह पैर बदलना पड़ता है। लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। पुराने आर्टिफिशियल पैर में डबल मौजा लगाकर उसी को यूज करते है। इस बार कैंप से फोन आने पर वे चित्तौड़गढ़ पहुंचे और नया पैर हाथों हाथ बना कर दिया। उन्होंने कहा कि चित्तौड़ में ऐसे आयोजन होना चाहिए, जिससे जरूरतमंदों की मदद हो सके। उन्होंने टीम आक्या और सरकार का आभार जताया। केस 2 – कैंप में 14 साल की बालिका भी आई थी। जिसका बचपन में ही पोलियो से एक पैर खराब हो गया था। सतखंडा निवासी 14 साल की लक्ष्मी जटिया के नारायण जटिया ने बताया कि लक्ष्मी को जन्म से ही प्रॉब्लम है। पहले एक बार उदयपुर की किसी संस्था ने नाप लेकर गए थे लेकिन कोई वापस नहीं आया। इस बार विधायक चंद्रभान सिंह आक्या की टीम से फोन आया था और उन्होंने यहां चित्तौड़ बुलाया। यहां हाथों हाथ बच्ची के लिए कृत्रिम पैर बनाए गए। बच्ची को पहली बार यह पहनाया गया। कुछ दिनों की प्रैक्टिस के बाद वो आराम से चल पाएगी। यहां प्रैक्टिस भी करवाया जा रहा है। पिता नारायण लाल कहते है पहली बार अपनी बेटी को चलते हुए देखा है, इसलिए बहुत खुशी हो रही है। बेटी 7वीं कक्षा में पढ़ती है और अब वो खुद स्कूल जा पाएगी।