उदयपुर में रविवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का समापन हुआ। सम्मेलन के दौरान ज्योतिषियों ने ग्रह दशाओं पर मंथन किया। सम्मेलन में हुई चर्चा में सामने आया कि व्यक्ति के स्वास्थ्य, समृद्धि, सफलता और ऐसे ही तमाम विषयों पर ज्योतिष विज्ञान का खासा प्रभाव रहता है। चाहे घर का वास्तु दोष हो या काफी प्रयासों के बाद भी रोजगार न मिल रहा हो या फिर अक्सर बीमारी घेरे रहती है। इन सब मसलों का हल कुंडली और ग्रहों में छिपा हुआ है। मंथन में ज्योतिषियों की चर्चा में सामने आया कि अगर शयन कक्ष में शौचालय बना हुआ हो तो घर में बीमारियों का डेरा बना रहेगा। इसी तरह कुंडली के चतुर्थ, सप्तम और दशम् भाव से व्यक्ति के यश व मान-सम्मान की दिशा तय होती है। यही नहीं, आभूषण पहनने से भी शरीर के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के सहयोग से अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष शोध संगोष्ठी एवं सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ। तीन दिनों में 150 से अधिक ज्योतिष विद्वानों ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार रखे। आयोजन सचिव डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि धर्मानुकूल आचरण से जीवन में प्रसन्नता एवं आनंद बढ़ता है, फिर उन्हें ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। धर्म के आचरण में कमी के चलते ही जीवन में अशांति आती है। सम्मेलन में केरल, पंजाब, हिमाचल, जम्मू, गोवाहटी, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों से 150 से ज्यादा ज्योतिषियों ने भाग लिया। संयोजक पं. चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि अंतिम दिन गीता: ज्ञान या विज्ञान विषय पर ज्योतिष विद्वानों ने अपने विचार रखे। इसके अलावा नरेश हरकावत, नरेश मेनारिया, मूमल मेनारिया, पुष्कर दास वैष्णव, मीनाक्षी राजेन्द्र जैन, माणक चंद व्यास, अरुणा व्यास, आचार्य गजानन्द शर्मा, सम्राट् जैन शास्त्री, पूर्णिमा व्यास, चिराग दवे, जितेन्द्र दाधीच, दीपक शास्त्री, कपिल देव शर्मा, मनमोहन शर्मा, सुदेश शर्मा, नीतिका शर्मा, राजकुमार त्रिवेदी, कालिन्दी पुरोहित, विजय बी. महाजन, गौरव मिश्र, मैत्रेय रुद्राभयानन्द, दीप्ति सी., कार्थिका राजगोपालन, नीरज अग्निहोत्री, सुषमा दिवाकर, नूपुर अग्रवाल, रवि कुमार पारीक, रितु के. पारीक, पूजा स्वामी, मनोज श्रीमाल, रंजना शर्मा, मंजुला जैन, अरविन्द खण्डेलवाल, कान्ता जोशी आदि का पत्रवाचन हुआ। चंद्रमा और शुक्र देता है यश और सम्मान
गुजरात के भाविन बी. देसाई ने बताया कि कुंडली के चौथे, सातवें और दसवें भाव के साथ-साथ 12वें भाव से व्यक्ति के मान-सम्मान की स्थिति भी देखी जाती है। मूल रूप से चंद्रमा और शुक्र यश प्रदान करने वाले ग्रह हैं। हस्तरेखा विज्ञान में सूर्य को यश का ग्रह माना जाता है। वहीं शनि, राहु और खराब चंद्रमा यश में बाधा पहुंचाने वाले ग्रह हैं। जयपुर के वीरेंद्र पुरोहित के बताया कि परिवारिक कलेश, पति-पत्नी के बीच विवाद की स्थिति में ऋणानुबंध तैयार कर उनके ग्रहों को शांत कराया जाता है। इसके लिए कुंडली देखकर उल्टे ग्रहों की समीक्षा की जाती है और उसी अनुसार युक्तियां बताई जाती हैं।