श्रद्धांजलि देने पहुंचे डीजीपी अरुण देव गौतम ने कहा:अब बस्तर में नक्सलियों के छिपने के लिए कोई महफूज ठिकाना नहीं बचा

फरसेगढ़ थाना क्षेत्र के बड़ेकाकलेर और अन्नापुर के जंगलों में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में डीआरजी के जवान नरेश ध्रुव और एसटीएफ के जवान वसित रावटे वीरगति को प्राप्त हो गए। मुठभेड़ के बाद शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर से बीजापुर लाया गया, यहां न्यू पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। नम आंखों से जवानों को अंतिम विदाई दी गई। इसके बाद शहीदों के शवों को पूरे सम्मान के साथ हेलीकॉप्टर के माध्यम से उनके गृह ग्राम के लिए रवाना कर दिया गया। श्रद्धांजलि सभा के बाद यहां पहुंचे डीजीपी अरुण देव गौतम ने शहीद जवानों के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि अब बस्तर में नक्सलियों के छिपने के लिए कोई महफूज ठिकाना नहीं बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षाबलों की रणनीति और स्थानीय सहयोग से नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। डीजीपी ने शहीद जवानों के परिजनों का बंधाया ढांढस सभा में शहीद जवानों के परिजन भी शामिल हुए। डीजीपी गौतम ने उन्हें ढांढस बंधाया और सरकार व प्रशासन की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इस कार्यक्रम में बस्तर आईजी सुंदरराज पी., बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और विधायक विक्रम मंडावी भी मौजूद रहे। सभी ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। नक्सली देसी लॉन्चर और हथगोलों से कर रहे हमला, वजह- असलहे की कमी मो. इमरान नेवी|जगदलपुर. पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हो या किसी पुलिस कैंप पर हमला करना हो नक्सली इन दिनों ज्यादातर हमलों में देसी हथियारों का उपयोग कर रहे हैं। बड़े काकलूर के जंगलों में हुई मुठभेड़ में भी नक्सलियों ने भारी मात्रा में देसी हथगोलों का उपयोग किया है। इसके पहले भी नक्सलियों ने कैंपों पर हमले के लिए देसी राकेट लांचर का उपयोग किया हालांकि नक्सलियों के ये देसी हथियार ज्यादा कारगर और नुकसानदायक नहीं है। नक्सल मामलों के जानकारों का कहना है कि इसके पीछे की दो वजह हो सकती है, पहली वजह यह कि नक्सली खुद के बनाये हुए हथगोलों का उपयोग असल लड़ाई में कर इसकी क्षमता जांचकर इसकी क्षमता बढ़ाने में लगे हुए हैं या फिर नक्सलियों के पास गोलियां व दीगर असलहे की कमी है। सप्लाई चेन को रोका, लंबे समय से हथियार भी नहीं लूट पाए इधर बस्तर में नक्सलियों के पास असलहा तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश के रास्ते से आता रहा है, लेकिन हाल ही में पुलिस ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क और सप्लाई चेन को तोड़ा है। ऐसे में बाहर से असलहा बस्तर में आना अब पहले की तुलना में कठिन हो गया है। इसके अलावा नक्सली स्थानीय स्तर पर भी कोई बड़ी वारदात को अंजाम देते हुए हथियार लूटने में सफल नहीं हो पाये हैं। ऐसे में नक्सलियों के पास असलहे की कमी भी हो सकती है।

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