खालसा पंथ के इतिहास से संगत को करवाया रूबरू

भास्कर न्यूज | जालंधर गुरुद्वारा छठी पातशाही बस्ती शेख में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहबजादे और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित रविवार को गुरमत समागम करवाया गया। अमृतवेले पांच बाणियों के नितनेम साहिब के पाठ के बाद सेक्रेटरी इंद्रपाल सिंह ने गुरमत विचारों से संगत को आनंद विभोर किया। भूपिंदर सिंह नागरा के परिवार की ओर से रखे गए श्री सहज पाठ के भोग डाले गए। संगत ने नौंवे महल्ले के श्लोक का पाठ संगति रूप में किया। इस समागम में विशेष तौर पर सचखंड श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर साहिब केहजूरी रागी जत्थे भाई भूपेंद्र सिंह ने गुरबाणी के मनोहर कीर्तन से और श्री दरबार साहिब के ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी परविंदर पाल सिंह बुट्टर ने खालसा पंथ के इतिहास के साथ संगत को रूबरू करवाया। ज्ञानी गुरजंट सिंह पटियाला वालों ने कहा कि इतिहास के पन्नों पर किसी भी गुरु के परिवार संबंधी कोई ऐसी उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें उन्होंने अपने सपुत्रों और माता जी को शहीद करवा कर उस परमात्मा का शुकराना किया हो। साहिब श्री गुरू गोबिंद सिंह सिख धर्म के एक ऐसे महान गुरु हुए हैं, जिन्होंने अपने पिता, चारो साहिबजादे और माता जी को शहादत का जाम पीते हुए देखा। रणधीर कौर खालसा ने ढाढी वारों से अपनी हाजिरी लगवाई। समागम की सेवा पंथ के विद्वान ज्ञानी कुलविंदर सिंह भोगपुर वालों द्वारा की गई। यहां प्रधान बेअंत सिंह सरहद्दी , अमरीक सिंह, कुलवंत वीर सिंह कालडा, बलविंदर सिंह हेयर, चरणजीत सिंह लुबाना, गुरदीप सिंह बवेजा, परमजीत सिंह नैना, हरबंस सिंह, सतपाल सिंह आदि मौजूद रहे।

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