शुभेंदु शुक्ला | अमृतसर शहर में अवैध निर्माण निगम के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। समय-समय पर अवैध बिल्डिंगों को चिन्हित कर सीलिंग की कार्रवाई की जाती है मगर बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की शॉर्टेज के कारण कामयाबी नहीं मिल पा रही। दरअसल, शहर में 24 बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की जरूरत है मगर 19 पद खाली पड़े हुए हैं। 10 साल से 7 इंस्पेक्टरों के सहारे काम चलाया जा रहा है। अवैध निर्माणों की रोजाना 25 शिकायतें पहंुच रही हैं जिन्हें सेम-डे कवर कर पाना मुश्किल होता है। वहीं 1 एटीपी की पोस्ट भी खाली पड़ी है। एक एटीपी के अंडर में 4 से 5 बिल्डिंग इंस्पेक्टर होने चाहिए। चूंकि निगम की तरफ से अवैध बिल्डिंग को सील करने की कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन टीम के जाने के बाद अंदरखाते चोरी-छिपे मालिक फिर से काम शुरू करवा लेते हैं। शिकायत मिलने पर फिर कार्रवाई करने को समय से इंस्पेक्टर नहीं पहुंच पाते। मंगलवार को असिस्टेंट टाउन प्लानर परमिंदरजीत सिंह ने अवतार एवेन्यू और वेरका मजीठा बाईपास ग्रीन लैंड में 5 मंजिला 2 बिल्डिंगों के अवैध हिस्सों में तोड़ा और सील किया। टीमें दोपहर करीब 12 बजे इन बिल्डिंगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पहुंची थी। हालांकि मालिकों ने किसी तरह का विरोध नहीं जताया। जिसके बाद टीम अवैध हिस्से को गिराकर वापस लौट आई। एटीपी ने बताया कि बिल्डिंग मालिकों को नोटिस जारी किया गया था लेकिन खुद अवैध हिस्से को नहीं तोड़ा। इनका नक्शा तो पास है, लेकिन अधिक बढ़ाकर निर्माण कार्य करा लिया था। अवैध निर्माण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ आगे भी इसी तरह कार्रवाई जारी रहेगी। बीते जनवरी माह में 29 अवैध रेजिडेंशियल-कॉमर्शियल बिल्डिंगों को सील किया गया था। मगर स्टाफ की कमी के कारण चैकिंग न होने पर कुछेक ने सील तोड़कर दोबारा निर्माण कार्य शुरू करा दिया। हालांकि शिकायत मिलने पर निगम ने काम रुकवा दिया था। लेकिन बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की संख्या पूरी हो तो यह नौबत न आए। चूंकि इमरजेंसी केसों में कोई बिल्डिंग इंस्पेक्टर छुट्टी पर गया तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। अवैध निर्माणों की रोज 25 शिकायतें पहुंच रही हैं। एमटीपी विभाग के पास रोजाना 15 ऑफलाइन शिकायतें पहुंच रहीं। हालांकि इनमें 5 शिकायतें चुनिंदा नामों के लोगों की होती है। जिनका निपटारा होने के बाद भी यह रिपीटेड शिकायतें भी भेजते रहते हैं। इसके अलावा सीएम पोर्टल पर 5 तो उतनी ही पीजीआरएस पोर्टल पर भी आ जाती हैं।