जिले में नशीली दवाओं के बढ़ते उपयोग को देखते हुए जिला कलेक्टर ने कुछ दवाइयों की खुली और अनियंत्रित बिक्री पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई है। इनमें प्रीगाबालीन, टेपेंटाडोल, जोपीक्लोन साल्ट आधारित दवाइयां शामिल हैं। इन दवाओं को टेबलेट या इंजेक्शन के माध्यम से लोगों द्वारा नशे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थानीय भाषा में इन्हें सिग्नेचर, जॉडियर, हरा तोता, संतरी, हरे कैप्सूल और नीला फोर्ड इत्यादि नामों से जाना जाता है। जिला कलेक्टर कानाराम के आदेश मुताबिक लोकहित और युवकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन दवाओं की खुली व अनियंत्रित बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश के लागू होते ही थोक व खुदरा दवा विक्रेता, अन्य अनाधिकृत व्यक्ति या फर्म प्रीगाबालीन की 75 मिलीग्राम से अधिक मात्रा का क्रय-विक्रय नहीं कर सकेंगे। प्रीगाबालीन, टेपेंटाडोल, जोपीक्लोन घटक युक्त दवाइयों का बिना क्रय-विक्रय बिल के बेचान नहीं करेंगे। थोक दवा विक्रेता इन दवाइयों के सभी क्रय-विक्रय का दैनिक स्टॉक रजिस्टर बैंच नम्बर सहित संधारित करेंगे। इसकी सूचना एसपी, औषधि नियंत्रण विभाग को प्रत्येक सप्ताह भेजनी होगी। विक्रेता इन दवाओं का विक्रय डॉक्टर की मूल प्रिसक्रिप्शन या पर्ची पर विक्रेता मोहर और दिनांक लगाने के बाद ही करेंगे। जिला कलेक्टर ने सहायक औषधि नियंत्रक को निर्देश दिए है कि थोक एवं खुदरा दवा विक्रेताओं द्वारा क्रय-विक्रय की जाने वाली इन दवाओं की जांच करेंगे। संबंधित उपखण्ड अधिकारी एवं पुलिस विभाग से परस्पर समन्वय स्थापित कर टीमों का गठन कर प्रत्येक माह मेडिकल स्टोर का अचानक निरीक्षण करेंगे। किसी भी प्रकार की अनियमितता या उल्लंघन मिलने पर कार्रवाई करेंगे। जिला कलेक्टर ने बताया कि यह आदेश जिले में तुरंत प्रभाव से लागू किया गया है। इस आदेश का उल्लघंन करने पर पुलिस प्रशासन व उपखंड अधिकारी द्वारा भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत दंडित कराने की कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश आगामी दो माह की अवधि तक प्रभावी रहेगा।