पोर्टल का डाटा बेच रहीं एजेंसियां:जीएसटी पोर्टल लीक; व्यापारियों का डाटा 3-12 हजार रुपए में बेच रहे

जीएसटी पोर्टल पर मौजूद व्यापारियों की खरीदी-बिक्री का डाटा खुलेआम बेचा जा रहा है। मात्र 3 से 12 हजार रुपए में कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी का सिर्फ जीएसटी नंबर देकर उसकी सेल्स की पूरी जानकारी हासिल कर सकता है। ऐसी कई एजेंसियां हैं, जो इस गोपनीय डाटा को हासिल कर प्रतिद्वंद्वियों को बेच रही हैं। भास्कर ने स्टिंग ऑपरेशन में गुरुग्राम की एक एजेंसी से एक कंपनी का सेल्स डाटा खरीदा। डाटा हासिल कर कारोबारी प्रतिस्पर्धी व्यापारी के क्लाइंट्स को कम कीमत पर सेवाएं देकर छीनने का प्रयास करते हैं। एजेंसी से जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने सिर्फ दूसरी पार्टी का जीएसटी नंबर मांगा और तत्काल अपने रेट्स बता दिए। वे डोमेस्टिक पर्चेस रिपोर्ट के लिए 3 महीने का डाटा 12 हजार में, 6 महीने का 22 हजार में और 12 महीने का डाटा 35 हजार में देने काे तैयार थे। डोमेस्टिक सेल्स डाटा के दाम इससे कम थे। उन्होंने 3 महीने की रिपोर्ट 9 हजार में, 6 महीने की 16 हजार और 12 महीने की 30 हजार रुपए में देने का वादा किया है। वे इतने बेधड़क होकर डाटा बेच रहे हैं कि भुगतान ऑनलाइन भी ले रहे हैं। भास्कर ने जब एजेंसी को भरोसे में लेकर बात की, तो उन्होंने वाट्सएप मैसेज में ऑफर भेजा। उन्होंने स्पष्ट लिखा कि यह सारा डाटा जीएसटीएन यानी जीएसटी नेटवर्क के पोर्टल का ही है। इनके द्वारा एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट से जुड़ी वह जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है, जो वैध रूप से उपलब्ध हो। जैसे किसी एक निर्धारित एचएस कोड के उत्पादों का निर्यात-आयात, किसी विशेष पोर्ट से जुड़ी जानकारी आदि। इसमें किसी निजी कंपनी का डाटा नहीं दिया जाता। लेकिन इसकी आड़ में ये एजेंसी डोमेस्टिक डाटा भी बेच रही है जो व्यापारियों के निजता के अधिकार का हनन है। भास्कर एक्सपर्ट – सीए कृष्ण गर्ग, वरिष्ठ कर सलाहकार वर्षों से जुड़ा क्लाइंट अचानक अलग हो गया
यह व्यापारी के मूलभूत अधिकारों का हनन है और व्यापार की स्वतंत्रता को खत्म करता है। मेरे एक क्लाइंट को कई महीनों से शक हो रहा था कि उसके बिजनेस का डाटा चोरी हो रहा है। जो क्लाइंट उनसे सालों से जुड़ा था, उसने बिना किसी वजह के प्रतिद्वंद्वी से माल खरीदना शुरू कर दिया। ऐसा एक नहीं, कई क्लाइंट के साथ हुआ। पता है पर रोक नहीं रहे अधिकारियों को भी लीक के बारे में पता है। जीएसटी की ग्रीवांस रीड्रेसल कमेटी की 22 नवम्बर को हुई बैठक में भी यह मुद्दा आ चुका था। पर कार्रवाई नहीं हुई। रेट और सैंपल भी भेजते हैं एजेंसी ने रेट के साथ सैंपल भी भेजा। इसमें व्यापारी का नाम, खरीददार का जीएसटी नंबर, नाम, पता, इनवॉइस दिनांक, मूल्य, टैक्स व चार्जेस सब था। प्रभावितों से जानकारी और सबूत मांगे हैं… व्यापारियों की डाटा सिक्योरिटी सर्वोपरि है। हमारे पास शिकायत आई है। यह सही है तो हम जीएसटीएन को बताएंगे। प्रभावितों से और जानकारी व सबूत मांगे हैं। – धनराजू एस, प्रदेश जीएसटी आयुक्त

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *