राम-सीता विवाह का प्रसंग सुनकर झूमे श्रोता

भास्कर न्यूज | जामताड़ा गांधी मैदान में श्रीराम कथा के पाचवे िदन भव्य आयोजन िकया गया। कथा वाचक हरिदास अंकित कृष्ण महाराज ने भगवान राम के अहिल्या उद्धार से लेकर जनकपुर यात्रा तक का प्रसंग सुनाई। उन्होंने बताया कि भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार कर समाज को संदेश दिया कि जिसे सब त्याग देते हैं, उसे भगवान अपनाते हैं। इसके बाद भगवान राम, गुरुदेव विश्वामित्र के साथ जनकपुर पहुंचे। पुष्प वाटिका में प्रवेश के दौरान मालियों ने उन्हें रोका। भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया और वाटिका में प्रवेश किया। वहीं माता सीता ने पहली बार भगवान राम के दर्शन किए। राम ने गुरुदेव से कहा कि जनक नंदिनी को देखकर उनके मन में प्रेम जागृत हुआ। इस पर विश्वामित्र ने आशीर्वाद दिया कि उनकी मनोकामना पूर्ण होगी। इसके बाद भगवान राम राजा जनक के यज्ञ मंच पर पहुंचे। वहां 10,000 राजा उपस्थित थे। राजा जनक ने भगवान राम को ऊंचे सिंहासन पर िबठाया। जनक की प्रतिज्ञा थी कि जो धनुष तोड़ेगा, वही उनकी पुत्री सीता से विवाह करेगा। सभी राजाओं ने प्रयास किया, लेकिन कोई धनुष नहीं तोड़ सके। अंत में 10,000 राजा एक साथ उठे, फिर भी धनुष नहीं हिला। गुरुदेव विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम खड़े हुए। बिना प्रयास किए उन्होंने धनुष तोड़ दिया। समाज को संदेश दिया कि सच्चा ज्ञानी या बलवान कभी किसी का अपमान नहीं करता। इसके बाद माता सीता और भगवान राम का विवाह संपन्न हुआ। भक्तों ने कथा का श्रवण कर अपने जीवन को धन्य बनाया। आयोजन समिति के मोहन बर्मन, प्रभु मंडल, शिबू परशुरामका, राकेश रवानी, रमेश रावत और सीपी सरखेल सहित दर्जनों सदस्य उपस्थित रहे।

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