बिजली कंपनियों को राहत:राज्य सरकार कर्ज की जगह 6 हजार करोड़ अंशपूंजी के रूप में देगी

राज्य सरकार प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की माली हालत सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्र सरकार की रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 40% का राज्यांश अब लोन के बजाए अंश पूंजी (कैपिटल शेयर) के रूप में दिया जाएगा। यह राशि 6 हजार करोड़ से अधिक होती है। योजना में 60% राशि केंद्र सरकार देती है। इस फैसले से बिजली कंपनियों को कर्ज और उसके ब्याज का बोझ कम होगा। सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार शाम को मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। मंत्रिमंडल ने सरकारी धान की मिलिंग करने वाले धान मिल मालिकों को राहत देते हुए वर्ष 2023-24 खरीफ में की बकाया प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेशन राशि के भुगतान को मंजूरी दे दी। प्रोत्साहन राशि 300 करोड़ और अपग्रेडेशन राशि 238 करोड़ है। यह भुगतान पिछले एक साल से अटका था। फायदा 1050 धान मिलर्स को मिलेगा। फैसले के मुताबिक, धान मिलर्स को मिलिंग राशि 10 रु./प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन राशि 50 रु. की दर से दी जाएगी। कैबिनेट बैठक के बाद डिपटी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि सेंट्रल पूल में एफसीआई को 20 फीसदी धान की आपूर्ति पर 40 रुपए और सेंट्रल पूल में 40 फीसदी धान देने पर 120 रुपए प्रति क्विंटल की दर से अपग्रेडेशन राशि राज्य सरकार मिलर्स को देगी। सरकार के इस फैसले से किसानों से खरीदी जा रही धान की मिलिंग में तेजी आएगी साथ ही पीडीसी के तहत गरीबों को बांटे जाने वाले चावल की आपूर्ति भी सुनिश्चित हो सकेगी। गौरतलब है कि पीडीसी के तहत मप्र अपनी जरूरत का चावल राज्य पूल में रख लेगा, इसके अतिरिक्त जितना अतिरिक्त चावल होगा, उसे केंद्र सरकार के फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) को भेज देगा। पीएम ऊषा और रूसा के लिए दी सैद्धांतिक मंजूरी
केबिनेट ने केन्द्र सरकार की दो योजनाओं पीएम ऊषा (उच्चतर शिक्षा अभियान) और रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के प्रदेश में स‌ंचालन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों को अपग्रेडेशन, रिसर्च, जेंडर इक्वेलिटी और सभी को समान अवसर देने वाले काम करने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय मदद मिल सकेगी। जन विश्वास विधेयक और सप्लीमेंट्री बजट प्रस्ताव को भी मंजूरी
केबिनेट ने मंगलवार को विधानसभा के शीत सत्र में पेश किए जाने वाले राज्य सरकार के सप्लीमेंट्री (अनुपूरक) बजट को भी मंजूरी दे दी है। यह लगभग 15 हजार करोड़ के आसपास हो सकता है। इसके साथ ही ईज ऑफ डूइंग के तहत जन विश्वास विधेयक, नगर पालिक व नगर पालिका संशोधन विधेयक, निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को भी मंजूरी दे दी गई। अब नगर निगमों में अध्यक्ष और नगर पालिका व नगर परिषदों में अध्यक्ष को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि 2 साल से बढ़ाकर 3 साल की जाएगी। इसके साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत होगी।

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