भास्कर न्यूज | जालंधर संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जोकि इस बार 18 दिसंबर को दिन बुधवार को यानी आज है। इस दिन विधिपूर्वक श्री गणेश जी का पूजन करने से जीवन की हर मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। श्री शिव दुर्गा खाटू श्याम मंदिर कमल विहार के पं. गौतम भार्गव ने बताया कि संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी में ही किया जाता है। शाम को चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय हो तो उस दिन व्रत रखना चाहिए। साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र, संतान की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना से व्रत करती हैं। वही, कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए दिन भर व्रत रखकर शाम को भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पं गौतम भार्गव ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं। पूजन विधि { संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा के बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा भी करने का विधान है। भगवान शिव-पार्वती की पूजा सुगंधित फूल और सौभाग्य सामग्रियों के साथ करनी चाहिए। { इस चतुर्थी तिथि पर पूरे दिन बिना कुछ खाए पूरे दिन व्रत रखें और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए। { सुबह जल्दी उठकर काले तिल से स्नान करें। सोने, चांदी, तांबा या मिट्टी की गणेश जी की मूर्ति बनवाएं। भगवान गणेश की पूजा सुबह और शाम यानी दोनों वक्त की जानी चाहिए। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा करें। फिर गणेश जी को लड्डू का भोग लगाएं।