रिम्स में दुर्लभ बीमारियों के कारण ढूंढ हो रहा इलाज, जीनोम सिक्वे​िसंग मशीन बनी वरदान

दुनिया भर में बीते कुछ सालों से दुर्लभ बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। एक बीमारी का प्रसार कम हो इससे पहले दूसरी बीमारी दस्तक दे रही है। इसी बीच इन दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों की देखभाल व उनमें जागरूकता के लिए हर साल फरवरी के अंतिम दिन में रेयर डिजीज डे के रुप में मनाया जाता है। रिम्स में भी बीते एक साल में कई रेयर डिजीज के मामले पहुंचे हैं। करीब 350 से ज्यादा रेयर डिजीज का इलाज रिम्स व कुछ प्रमुख निजी अस्पतालों में किया गया है। इन बीमारियों की बात करें तो इनमें ऑस्टियोजेनेसिस अपूर्णता, प्यूट्ज जेगर्स सिंड्रोम, कॉफिन सिरिस सिंड्रोम व हेरेडिटरी फ्रक्टोज इंटॉलरेंस जैसी दुर्लभ बीमारी शामिल हैं। रिम्स जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग की हेड डॉ. अनूपा प्रसाद ने बताया कि रेयर डिजीज के मामले कुछ सालों में बढ़े हैं। अधिकांश रेयर डिजीज अनुवांशिक हैं। जिनकी बीमारियों का पता लगाने में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन बहुत मददगार साबित हो रही है। रिम्स में पिछले एक साल में ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा के 2 मरीज, प्यूट्ज जेगर्स सिंड्रोम के 2 मरीज, कॉफिन सिरिस सिंड्रोम व हेरेडिटरी फ्रक्टोज इंटॉलरेंस के एक-एक मरीज का इलाज किया जा चुका है। ये सभी बीमारी दुर्लभ हैं, इससे रोगी की जान भी जा सकती थी। जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग में ऐसे रेयर डिजीज का ढूंढा जा रहा कारण व इलाज रिम्स के जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग में विभिन्न तरह के रेयर डिजीज का कारण व इलाज ढूंढ़ा जा रहा है। अनुमस्तिष्क गतिभंग (एटासिया), डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी जैसी दुर्लभ बीमारी की जांच भी रिम्स के लैब में पहली बार झारखंड में की गई है। विभाग की हेड डॉ. अनूपा प्रसाद ने बताया कि जिनोम सिक्वेंसिंग मशीन की मदद से हर तरह की अनुवांशिक व दुर्लभ बीमारी के सैंपल की जांच की जा रही है। इससे न सिर्फ बीमारी के बारे में पता लगाया जा रहा है, बल्कि बीमारी में किस तरह की दवाएं कारगर हैं, किस तरह के इलाज का तरीका अपनाने की जरूरत है, इसमें भी मदद मिलती है। डॉ. प्रसाद ने बताया कि जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स लैब में विभिन्न प्रकार के रेयर डिजीज की जांच कर सफल इलाज किया जा चुका है। रेयर डिजीज के इतने मरीजों का रांची में किया गया इलाज ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा 2 प्यूट्ज जेगर्स सिंड्रोम 2 कॉफिन सिरिस सिंड्रोम 1 हेरेडिटरी फ्रक्टोज इंटॉलरेंस 1 गुइलेन-बैरे सिंड्रोम 6 बेयर लिंफोसाइट सिंड्रोम 2 बायलर रोग 5 कैंडल सिंड्रोम 1 क्रोनिक ग्रैनुलोमैटस रोग 6 जन्मजात कॉर्नियल अपारदर्शिता 16 क्रिग्लर-नज्जर सिंड्रोम 6 हेरिडिटरी फ्रुक्टोज इनटोलरेंस…इस बीमारी से पीड़ित एक गंभीर रोगी का इलाज रिम्स में किया जा चुका है। वंशानुगत फ्रुक्टोज असहिष्णुता (एचएफआई) एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है। यह तब होती है, जब शरीर में फ्रुक्टोज को तोड़ने वाला एंजाइम एल्डोलेज बी पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता। फ्रुक्टोज कई खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला एक प्रकार का चीनी है। . कॉफिन-सिरिस सिंड्रोम… कॉफिन-सिरिस सिंड्रोम से पीड़ित एक रोगी का इलाज रिम्स में किया गया है। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है। यह विकासात्मक देरी, सीखने की अक्षमता और चेहरे की विशिष्ट विशेषताओं का कारण बनता है। इस सिंड्रोम में, उंगलियों या पैर की उंगलियों के नाखूनों का विकास अपूर्ण या नहीं हो सकता है। . ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा… अस्थिजनन अपूर्णता… इस बीमारी के 2 मरीजों का इलाज रिम्स में किया जा चुका है। यह एक आनुवंशिक या वंशानुगत बीमारी है, जिसमें हड्डियां आसानी से टूट जाती हैं। अक्सर बिना किसी स्पष्ट कारण या मामूली चोट के भी हड्डियां टूटने लगती हैं। इसे भंगुर हड्डी रोग के नाम से भी जाना जाता है।

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