आयुष्मान में महिलाओं की सर्जरी की फोटोग्राफी:राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का एमपी स्वास्थ्य विभाग को नोटिस; ACS-PS से मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भास्कर एप की खबर पर एक्शन लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव संदीप ठाकुर और आयुष्मान सीईओ योगेश भरसट को नोटिस जारी किया है। सभी से 7 दिनों में एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, 12 फरवरी को पब्लिश खबर में भास्कर ने बताया था कि मध्यप्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों के सर्जरी पार्ट की तस्वीरें ली जाती हैं। इन्हें आयुष्मान के ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम( TMS) पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। आयुष्मान का क्लेम पास कराने के लिए इन फोटोज को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आयुष्मान के पोर्टल पर फोटोज अपलोड होने से पहले कम से कम 4-5 हाथों से गुजरती हैं। ऐसे में इनके सार्वजनिक होने का खतरा है। खासतौर पर महिला मरीजों के सर्जरी पार्ट की फोटो के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। मानवाधिकार आयोग ने नोटिस में क्या लिखा
मानवाधिकार आयोग ने आयुष्मान योजना का संचालन करने वाले अफसरों को फटकार लगाई है। आयोग ने कहा- योजना की आधिकारिक नीति में ऐसा कोई नियम नहीं है जिसे अनिवार्य बताकर मध्यप्रदेश में महिला मरीजों के निजी अंगों की तस्वीरें अपलोड की जा रही हैं। यह बेहद परेशान करने वाला कृत्य है और मरीज की गोपनीयता और गरिमा का स्पष्ट उल्लंघन है। यह कृत्य न केवल अनैतिक बल्कि अवैध भी है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (निजता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट ने इस कृत्य को उजागर किया है। इस अमानवीय प्रक्रिया को रोकने और जिम्मेदार लोगों पर तत्काल कार्रवाई करें। आयोग ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश सरकार और आयुक्त, आयुष निदेशालय, मध्य प्रदेश को 7 दिन के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। हेल्पिंग ह्यूमन राइट फाउंडेशन ने की थी शिकायत
दरअसल, भास्कर की इस रिपोर्ट के बाद हेल्पिंग ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन ने मानवाधिकार आयोग को शिकायत की थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि बहुत पीड़ा और दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आयुष्मान भारत योजना भोपाल में महिला रोगी के निजी अंगों की तस्वीर अपलोड की जा रही है। मरीजों काे यह बताया जा रहा है कि यह आयुष्मान भारत की नीति के तहत है, जिसमें फोटो खींचना अनिवार्य है। इस क्रम में वे महिला रोगियों के निजी अंगों की तस्वीरें अपलोड की जा रही है, जबकि नीति में ऐसा कुछ नहीं लिखा है। नीति में कहा गया है कि प्री-ऑथराइजेशन करते समय दस्तावेज अपलोड करना अनिवार्य है। 12 फरवरी को पब्लिश भास्कर की खबर आयुष्मान में ब्रेस्ट सर्जरी कराई तो उसका फोटो जरूरी:नियम पर लेडी डॉक्टर ने आपत्ति ली तो कर्मचारी बोले- क्लेम पास नहीं होगा केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना का फायदा लाखों मरीजों को मिल रहा है, लेकिन इसका एक नियम मरीजों की प्राइवेसी और आत्म सम्मान को नुकसान पहुंचा रहा है। सबसे ज्यादा खतरा महिला मरीजों के लिए है। दरअसल, इलाज की पुष्टि और क्लेम पास कराने के लिए मरीज के चेहरे समेत सर्जरी वाले पार्ट की फोटो ली जाती है। इन फोटोज को आयुष्मान पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इसके बाद केशलैस इलाज की सुविधा मिलती है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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