विजय कच्छप|कामडारा डेढ़ दशक पूर्व कुलबुरु पंचायत में उग्रवादियों व अपराधियों का साम्राज्य चलता था। लोग संगीनों के साये में जीने को मजबूर थे। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जा रही थी। बच्चे वर्ग आठ के बाद आगे की पढ़ाई के लिए तरस जाते थे, लेकिन अब उग्रवाद व अपराध के धुंध हटते ही क्षेत्र मे शिक्षा की ज्योति रोशनी बिखरने लगी है। इसी के साथ कृषि के क्षेत्र मे महिलाओं की सहभागिता के कारण खेतों में अब सालोभर सब्जियों की खेती लहलहा रही है। गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 68 किमी की दूरी पर अवस्थित कुलबुरु पंचायत कामडारा प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत आता है। डेढ़ दशक पूर्व इस पंचायत तक जाने के लिए पुल व सड़क नहीं रहने के कारण कामडारा प्रखंड मुख्यालय से लगभग कटा हुआ था। वहीं पुलिस प्रशासन व अधिकारियों को कुलबुरु पंचायत तक जाने के लिए लगभग 45 किमी की दूरी तय कर वाया पुत्रीटोली होते हुए जाना पड़ता था। जिसके कारण कुलबुरु पंचायत क्षेत्र में उग्रवादियों व अपराधियों का अपना साम्राज्य पूरी तरह से चलता था। वहीं बीच -बीच मे आपराधिक संगठन व उग्रवादियों के बीच अपनी वर्चस्व की लड़ाई भी चलती थी। जिसके कारण आम ग्रामीण विवशता हमेशा डर व भय के साये में जीते थे। इसी बीच गत 18 सितंबर वर्ष 2006 को ग्रामीणों व अपराधियों के बीच टकराव हुई। नतीजा इस टकराव में कुछ ग्रामीणों को शहीद होना पड़ा और इसी के साथ क्षेत्र में बदलाव की बयार बहने लगी। वहीं वर्ष 2006 मे कुरकुरा बाजार टांड़ मे एक पुलिस चौकी स्थापित की गई और राजकीय मध्य विद्यालय को कुरकुरा को उच्च विद्यालय के रूप परिणत किया गया। वहीं कोयल नदी पर बालाघाट मे पुल नहीं रहने के कारण कुलबुरु और रामपुर पंचायत के ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए वर्ष 2016 मे पुल का निर्माण कार्य कराया गया और 2017 ई. मे सड़क निर्माण का कार्य पूरा होते ही कुलबुरु पंचायत के हालात अब बदलने लगी है। इसी क्रम में वर्ष 2017 में राजकीयकृत उत्क्रमित उच्च विद्यालय कुरकुरा को प्लस टू (इंटरमीडिएट) का दर्जा मिला। फिलवक्त उक्त विद्यालय में वर्ग प्रथम से लेकर कक्षा बारहवीं तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय मे कुल 950 बच्चे अध्ययनरत है। ज्ञात हो कि एक दशक पूर्व अफीम की खेती को लेकर बदनाम हो चुके कुलबुरु पंचायत के गांव बलंकेल व खिजरी के खेतों पर अब तरबूज, खीरा सहित अन्य सब्जियों की खेती लहलहने लगी है। सब्जियों की खेती के लिये प्रदान संस्था और महिला मंडल आजीविका के सहयोग से ग्रामीणों को जागरूक किया गया और प्रशिक्षण देने के उपरांत बीज व जैविक खाद उपलब्ध कराया गया। फिलहाल क्षेत्र के किसान अब सालोभर सब्जियों की खेती कर खुशहाल व समृद्ध बनने लगे हैं। जिसमें महिला किसानों के द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर गांव बलंकेल मे धनेश्वरी देवी के खेतों पर लगी सब्जियों को देखा जा सकता है।कुलबुरु पंचायत के गांव कुरकुरा मे सोमवार को लगने वाली साप्ताहिक हाट-बाजार काफी प्रसिद्ध है। खिड़की के अलावे मुर्गा, खस्सी व बकरियों की खरीद बिक्री होती है। इसलिए राउरकेला, नवागांव, सिमडेगा, कोलेबिरा सहित अन्य स्थानों के व्यापारी खरीद बिक्री के लिये आते हैं।