सीखने की कोई उम्र नहीं होती, जो सदन में आते हैं, वे सीखते भी हैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि विधानसभा भवन लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर है। यहां किसी धर्म, जाति या व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं होता है। इस सदन में भले हम पक्ष या विपक्ष के लोग व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग विचार रखते हों, लेकिन इस लोकतांत्रिक व्यवस्था से ऐसा मार्ग प्रशस्त होता है, जहां सभी को सदन में स्वागत के भाव से आमंत्रित किया जाता है। विधानसभा के सभी सदस्य जनहित से जुड़े मुद्दों को सदन के समक्ष रखते हैं। मुख्यमंत्री शनिवार को झारखंड विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर की गरिमा और भव्यता किसी धर्म से अछूता नहीं है। यहां सभी धर्म-समुदाय के हक की आवाज गूंजती है। उन्होंने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। जो भी इस सदन में आते हैं, वे सीखते भी हैं, जन आकांक्षाओं को पटल पर रखते भी हैं। हेमंत ने कहा-राज्य को समृद्ध और विकसित बनाने के संकल्प के साथ सरकार आगे बढ़ रही मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारी सरकार दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। सदन की कार्यवाही में सभी सदस्यों को साथ लेकर चलते हुए इस राज्य को समृद्ध तथा विकसित बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। सभी सदस्य राज्य के विकास के लिए अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। इस कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो, संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर सहित कई मंत्री, विधायक, झारखंड विधानसभा के प्रभारी सचिव मानिक लाल हेंब्रम, पीआरएस के चक्षु राय समेत कई लोग मौजूद थे। उधर, स्पीकर ने कहा कि सदन का काफी समय व्यवधान और शोर-शराबे में बीत जाता है। जनहित के मुद्दों पर काम नहीं हो पाता। अध्यक्ष के रूप में यह हमारे लिए सबसे अधिक पीड़ादायक होता है। विधानसभा अध्यक्ष ने पौधा देकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। विधानसभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम