विधायिका से होती है देश या राज्य स्तर पर बड़े बदलाव की शुरुआत : हरिवंश

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि देश या राज्य स्तर पर बड़े बदलाव की शुरुआत विधायिका से होती है। राज्य में तेजी से विकास के लिए विधानसभा की अहम भूमिका होती है। विधायक ही विधायिका की छवि बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। हरिवंश रविवार को झारखंड विधानसभा के सभागार में विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण सह प्रबोधन कार्यक्रम के पहले दिन विशिष्ट वक्ता के रूप में अपनी बातें रख रहे थे। उन्होंने कहा कि झारखंड देश का सबसे युवा विधानसभा है। पहली बार 12 महिला विधायक झारखंड विधानसभा पहुंची हैं। 21 महिला-पुरुष पहली बार विधायक बनकर आए हैं। विधायक कैसे काम करें, इसके लिए रूल बुक का पालन करें। विधायकों को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कहा कि सदन का ध्यान सिर्फ हो-हल्ला या वेल में आकर हंगामा कर नहीं खींचा जा सकता है। अपनी जगह पर खड़े होकर भी अपनी बातें सशक्त रूप से रखी जा सकती हैं। मरांग गोमके, कार्तिक उरांव समेत कई ऐसे नेता हैं, जो कभी वेल में नहीं गए। भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि वर्तमान में साल भर में ज्यादा से ज्यादा 35 दिनों का झारखंड विधानसभा का सत्र चलता है। जबकि सत्र साल भर में कम के कम 60 दिन का होना चाहिए। इसके लिए कानून बने। झारखंड को आगे बढ़ाना है तो आर्थिक रूप से मजबूत करना होगा : राधाकृष्ण संसदीय कार्य सह वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जिस उद्देश्य से प्रबोधन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उसमें विधायकों की कम उपस्थिति चिंता का विषय है। अगर इसमें हमारी रुचि कम होगी तो यह सफल नहीं हो सकेगा। संसदीय व्यवस्था कमजोर हो जाएगी तो जनता के लिए काम नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विधायिका की प्रणाली कमजोर होगी तो फिर से उग्रवादी संस्कृति हावी हो जाएगी। झारखंड को आगे बढ़ाना है तो आर्थिक रूप से मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि सीखने के लिए किसी पदाधिकारी की आवश्यकता नहीं है। अगर सीखने की ललक है तो वे खुद सीख सकते हैं। बजट पारित करना विधायिका की अहम जिम्मेवारी : स्पीकर विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि राज्य विधायिका राजकोष का संरक्षक होता है। ऐसे में विधायक के रूप में आपकी जिम्मेवारी है कि राजकोष के खर्च पर कड़ी नजर रखें। बजट को पारित करना विधायिका की एक अहम जिम्मेवारी है। भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप विधानसभा की अनुमति के बगैर एक पैसे की भी निकासी नहीं हो सकती। सदन पटल पर रखी गई आर्थिक सर्वेक्षण राज्य की आर्थिक दिशा-दशा का पूरा ब्योरा प्रस्तुत करता है। हमें इस डॉक्यूमेंट को बेहतर तरीके से अध्ययन करना चाहिए।

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