निगम का नया हाउस बन चुका है है मगर पिछले हाउस के पार्षदों का 4 माह का भत्ता अभी तक पेंडिंग है। मगर डिप्टी कंट्रोलर फाइनांस एंड अकाउंट्स (डीसीएफए) का कहना है कि किसी पार्षद का भुगतान लंबित नहीं हैं। ऐसे पार्षदों की गिनती 40 से ज्यादा है। पार्षदों के अनुसार, करीब 40 लाख रुपए भत्ता बकाया है। निगम अफसरों और अकाउंट्स ब्रांच की जिम्मेदारी बनती है कि खुद पार्षदों का बकाया भुगतान क्लियर कराएं मगर डीसीएफए मनु शर्मा को करीब 30 दिन पहले स्टेटमेंट दिए जाने के बाद भी बकाया भुगतान के लिए चेक नहीं जारी किया गया। बता दें कि पार्षदों को 17 हजार रुपए हर माह मासिक भत्ता मिलता है, जिसमें 2 हजार रुपए अखबार और फोन खर्च भी शामिल है।
वहीं निगम हाउस की प्रति मीटिंग का 500 रुपए मिलता है। किसी ने 20 तो किसी ने 10 या 15 मीटिंग अटेंड किए हैं मगर इसकी बनती राशि का भुगतान नहीं किया गया है। हालांकि कुछ पार्षदों ने जोर डालकर अपना बकाया ले लिया, लेकिन जिन्होंने ढिलाई बरती उनके भत्ते लटका दिए गए हैं। पार्षदों का कहना है कि जब मामूली भत्ता राशि निगम नहीं दे पा रहा तो मुलाजिमों का क्या होगा। गौर हो कि पिछला निगम चुनाव 17 दिसंबर 2017 को हुआ था। इसके बाद शपथ ग्रहण 23 जनवरी 2018 में कराया गया। जबकि 23 जनवरी 2023 में कार्यकाल पूरा हो गया था। पिछले टेन्योर का 4 माह का भत्ता भुगतान नहीं किया गया है। निगम अफसरों व अकाउंट्स ब्रांच की जिम्मेदारी बनती है कि खुद बकाया क्लियर कराएं न कि पार्षदों को निगम दफ्तर के चक्कर कटवाएं। यदि किसी पार्षद या पूर्व पार्षद के डॉक्यूमेंट जमा नहीं है, तो उन्हें फोन करना चाहिए। – निशा ढिल्लों, पार्षद वार्ड-81 पिछले टेन्योर का बकाया भुगतान नहीं किया है, नए का क्या करेंगे। निगम अफसर पार्षदों का आईकार्ड तक नहीं बनवा पाए हैं। ये विकास क्या करवाएंगे। आप सरकार ग्राउंड लेवल पर काम करने की बात कहती है, लेकिन पार्षदों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वही नहीं दिला पा रहे। -अश्विनी कालेशाह, पार्षद, वार्ड-48 शपथ ग्रहण को 40 दिन हो गए कोई लेकिन भत्ता नहीं मिला है। इस सरकार में सबकुछ भगवान भरोसे चला आ रहा है। अफसर कोई कुछ सुनता ही नहीं है। अपने स्तर पर वार्डों की जो भी मुश्किलें बनी हुई दूर करानी पड़ रही। विकास काम सालों से ठप्प पड़ा हुआ लेकिन कोई फंड नहीं आया है। -श्रुति विज, पार्षद, वार्ड-10 नए चुने गए पार्षदों को शपथ ग्रहण के 40 दिन के बाद भी निगम आईकार्ड बनाकर नहीं दे पाया है, जबकि सारे डॉक्यूमेंट्स जमा कराए जा चुके हैं। पार्षदों का कहना है कि पहली बार इस तरह के हालात निगम में देखने को मिल रहे हैं। ऐसा लगता है कि जनता के चुने नुमाइंदों की कोई वैल्यू ही नहीं रह गई है। सिविल-हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में किसी की जमानत देनी हो तो आईकार्ड का होना जरूरी है। अपने शहर में तो अफसरों से विजिटिंग कार्ड दिखाकर मुलाकात हो जाती है मगर आउट ऑफ स्टेशन जाने पर अफसरों के दफ्तरों में मुलाकात करने के लिए जद्दोजहद करनी होती है। जो निगम पार्षदों के आईकार्ड बनाकर समय से नहीं दे पा रहा, वो वार्डों का विकास समय से पहले कैसे करवा पाएगा। 17 हजार रुपए भत्ता कब तक मिलेगा इस बारे भी पार्षदों को कुछ नहीं बताया गया है। करीब 30 पार्षदों ने पैन कार्ड-बैंक डिटेल व अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करवा दिए लेकिन डीसीएफए से पूछने पर जवाब मिलता है कि सभी को एकसाथ दिया जाएगा। ^निगम के अकाउंट ब्रांच में डीसीएफए को पिछले टेन्योर के करीब 4 माह तक का जो भी भत्ता बकाया है, स्टेटमेंट जमा करवा दी है मगर भुगतान नहीं कराया गया। पहले भी निगम अफसरों को इसके बारे में अवगत करा चुके हैं। अकाउंट्स ब्रांच में डीसीएफए से बात करने पर सही जानकारी नहीं देता। जल्द ही क्लियर नहीं कराया तो निगम कमिश्नर को शिकायत देंगे। क्लर्क लक्षमन के पास कई पार्षदों की स्टेटमेंट पड़ी हुई है। -सतीश बल्लू, पार्षद वार्ड-77 ^पिछले साल निगम कमिश्नर से मिले थे। भरोसा दिलाया था कि जो भी बकाया होगा भुगतान कर दिया जाएगा। 4 बार निगम के अकाउंट्स ब्रांच जा चुके। अफसरों से मिले लेकिन कुछ नहीं हुआ। डीसीएफए सही से जानकारी तक नहीं देता। कितने महीने का भुगतान करने के लिए भेजा है, क्या कार्रवाई कर रहे कुछ नहीं बताते। जब पार्षदों को इस तरह से चक्कर कटवाया जा रहा तो लोगों का क्या सुनेंगे। -अरविंद शर्मा, पार्षद, वार्ड-82 ^पार्षदों का पिछला 4 माह और इस बार मिलाकर 5 माह का भत्ता भुगतान करना पेंडिंग है। निगम अफसरों की जिम्मेदारी बनती है। मेयर को इस तरह के मामलों पर गंभीर होना चाहिए। निगम कमिश्नर से बातचीत कर पार्षदों का जो भी बकाया रह गया हो तत्काल भुगतान करवाएं। जन-प्रतिनिधियों को ही अकाउंट्स व दूसरे ब्रांचों में धक्के खाने पड़ेंगे तो आम लोगों का भरोसा उठेगा। -रमन बख्शी, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर