कोंडागांव में बस्तर पंडुम का समापन:तीनों दिन दिखी जनजातीय संस्कृति की झलक; महोत्सव में पारंपरिक व्यंजन, कला और नृत्य की धूम

कोंडागांव में आयोजित तीन दिवसीय बस्तर पंडुम का बुधवार को समापन हुआ। स्थानीय ऑडिटोरियम में आयोजित इस महोत्सव ने बस्तर की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित किया। महोत्सव के अंतिम दिन जनजातीय व्यंजनों की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। चापड़ा चटनी और मड़िया पेज जैसे पारंपरिक व्यंजनों ने लोगों का ध्यान खींचा। लाल चींटियों से बनी चापड़ा चटनी अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। रागी से बना मड़िया पेज गर्मी में राहत देने वाला पेय है। लोगों ने स्थानीय व्यंजन का चखा स्वाद आयोजन में कुमड़ा बड़ी, बोहाढ़ भाजी, जीरा भाजी और कई अन्य स्थानीय व्यंजन भी प्रदर्शित किए गए थे जिसका लोगों ने स्वाद चखा। बेलमेटल शिल्प, भित्ती चित्रकला और मिट्टी कला की प्रदर्शनी ने बस्तर की कला परंपरा को जीवंत किया। स्थानीय कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से सामाजिक संदेश दिए। समाज प्रमुखों और प्रबुद्धजनों ने निर्णायक की भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित यह महोत्सव बस्तर की पाक-संस्कृति और कला को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक साबित हो रहा है। बस्तर पंडुम ​​​​​​​का पहला दिन बस्तर पंडुम के पहले दिन मादरी, गेड़ी और गौर नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। जनजातीय वेशभूषा और पारंपरिक आभूषणों की प्रदर्शनी ने लोगों का ध्यान खींचा। 8 दलों ने सुता, बंधा, कौड़ी गजरा, पुतरी, करधन, बाहुटा और बिछिया जैसे पारंपरिक आभूषणों के बारे में जानकारी साझा की। पढ़ें पूरी खबर… बस्तर पंडुम ​​​​​​​का दूसरा दिन महोत्सव के दूसरे दिन गोंड समुदाय के कलाकारों ने लिंगो पेन की सेवा अर्जी गीत से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। यह गीत गुरु के सम्मान में गाया जाता है। कार्यक्रम में जगार गीत, हल्दी कुटनी गीत, लेजा गीत और फनदी गीत भी प्रस्तुत किए गए। पढ़ें पूरी खबर…

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