विश्व बन्धुत्व की भावना से कार्य करता है हिन्दू – अनूप जी
अनूपपुर में स्वयंसेवकों का गुणवत्तापूर्ण पथ संचलन संपन्न
अनूपपुर। देश का सनातन समाज यह कभी नहीं कहता कि हिन्दू धर्म की जय हो। हम कहते हैं कि धर्म की जय हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। ऐसा पवित्र भाव, ऐसी पवित्र कल्याणकारी प्रार्थना केवल सनातन धर्मावलम्बी ही करते हैं। जिला मुख्यालय अनूपपुर में स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में स्वयंसेवकों के दो दिवसीय शारीरिक प्रशिक्षण अभ्यास वर्ग उपरांत रविवार 23 मार्च की शाम संघ के शहडोल विभाग सह कार्यवाह अनूप जी ने उपरोक्त विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिला अनूपपुर के शारीरिक प्रधान कार्यक्रम में दायित्ववान प्रशिक्षित स्वयंसेवको, कार्यकर्ताओं और गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में जिला ,खण्ड, नगर के दायित्ववान स्वयंसेवक एवं गणमान्य लोगों ने गुणवत्ता पूर्ण पथसंचलन मे शामिल होकर उत्कृष्ट और अनुशासित पथ संचलन द्वारा यह संदेश दिया है कि संगठन मे ही शक्ति है,इस भाव को लेकर हम सब चलते रहते हैं और स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना की भावना से कार्य करते हुए हम यह ध्यान देते हैं कि साथ खड़ा स्वयंसेवक कदम से कदम मिला कर चल रहा है या नहीं । हमारे बगल मे साथ चल रहा व्यक्ति हमारा भाई है, जब यह पवित्र भाव मन में होगा तो सभी एकसाथ आगे बढेगें और तब राष्ट्र निर्माण होता है।मनसा, वाचा , कर्मणा जब एकाकार होगा तो गुणवत्ता आती है।अनुशासन इन सबके लिए जरूरी है। 1925 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना का 2025 शताब्दी वर्ष है।आज नित नवीन प्रयोगों के साथ संघ आगे बढ़ रहा है।आए दिन परिवर्तन होते हैं। प्रत्येक सकारात्मक और आवश्यक परिवर्तन को हमने स्वीकार कर लिया है।बैंगलोर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही है।संघ और अनुषांगिक संगठनों की बैठक और शाखा में प्रस्ताव का वाचन होना चाहिए ।सुप्त शक्ति का जागरण गतिविधियों के माध्यम से करने की जरूरत है। 6 तरह की गतिविधियों से हम यह महत्वपूर्ण कार्य करेंगे।
शताब्दी वर्ष में मण्डल और गाँव स्तर पर उपस्थिति होनी चाहिए ।
शारीरिक, बौद्धिक गुणवत्ता के साथ सामाजिक गुणवत्ता भी बहुत आवश्यक है। उन्होंने समाज निर्माण के लिये पांच स की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि संपर्क ,संवाद, समन्वय, सामंजस्य और सकारात्मक सोच के साथ गांव-गांव तक संघ कार्य का विस्तार करना हमारा उद्देश्य है। शताब्दी वर्ष में तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें ,ना रहें का पवित्र भाव देश को ताकत प्रदान करता है। संघ का आह्वान है पंच परिवर्तन-बैठक, मेरी भूमिका, सामाजिक समरसता, धर्मान्तरण में अपनी भूमिका, अपनी कुशलता-अपनी क्षमता का आंकलन। आत्म संतुष्टि होनी चाहिए । सामाजिक समरसता में अपनी भूमिका तय होनी चाहिए। संघ को जो चखेगा, संघ की शाखा में जो आएगा या शाखा को जो दूर से भी देखेगा,वही संघ को समझ पाएगा।संघ को जानने के लिये संघ को समझना होगा। उन्होंने कहा कि देश में बौद्धिक संघर्ष हो रहा है। एक तबका वह है जो भारत तेरे टुकड़े होंगे की योजना पर तेजी से कार्य कर रहा है। दूसरा वर्ग वह है जो राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र की मजबूती के लिये कार्य कर रहा है। लेकिन उनके समर्थक अभी भी अपनी आंखें बंद किए हुए हैं।देश को विश्व बन्धुत्व की भावना से कार्य केवल हिन्दू ही करता है।हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमने अयोध्या जी में राम जन्मभूमि मंदिर बना देखा चरैवेति की भावना से चलते रहें, तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा के भाव से कार्य करते रहें। यही हमारा कर्तव्य है। इससे पूर्व प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का नगर में गुणवत्तापूर्ण ,अनुशासित पथ संचलन हुआ। जिसमे विभाग सह कार्यवाह अनूप मिश्रा, जिला संघ चालक राजेन्द्र तिवारी, नीतेश जी कौरव के साथ अन्य प्रमुख पदाधिकारियों, स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में पूर्ण गणवेश में अनुशासित स्वयंसेवकों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय से तहसील कार्यालय मार्ग, जिला चिकित्सालय, इंदिरा चौक से होकर वापस संघ कार्यालय तक गुणवत्तापूर्ण पथ संचलन किया। कार्यक्रम का समापन ध्वज वंदना और प्रार्थना से हुआ।