भास्कर न्यूज | गिरिडीह सदर प्रखंड की करहरबारी पंचायत में सरकार की नल जल योजना फेल हो गई है। पंचायत में बनी आधा दर्जन से ज्यादा जलमीनारें शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। कोरवाटांड़, कुसुमटांड़, बड़कीटांड़, गुहियाटांड़, धोबीडीह और पीपराटांड़ के लोग अब भी नदी और पहाड़ी झरनों से पानी लाने को मजबूर हैं। मार्च आते ही गांव के कुएं सूख जाते हैं। चापाकल भी जवाब दे देते हैं। इससे पांच हजार की आबादी हर साल गर्मी में पानी के संकट से जूझती है। पंचायत में ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय से आते हैं। कुछ संपन्न लोग गिरिडीह शहर से पानी खरीदते हैं। बाकी ग्रामीण गुहियाटांड़ नदी से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं। करहरबारी पंचायत समिति के सदस्य मनोज कुमार दास ने बताया कि सभी जल मीनारों का निर्माण 2023 में पूरा हो गया था। लेकिन अब तक एक बूंद भी सप्लाई पानी नहीं मिला। बरसात में कुएं भर जाते हैं, जिससे लोग किसी तरह काम चला लेते हैं। लेकिन मार्च आते ही कुएं, तालाब और चापाकल सूख जाते हैं। तब लोग झरनों और नदी से पानी लाने को मजबूर हो जाते हैं। पेयजल संकट को लेकर ग्रामीण कई बार पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता को आवेदन दे चुके हैं। कोरवाटांड़, कुसुमटांड़, बड़की टांड़, गुहियाटांड़, धोबीडीह और पीपराटांड़ के लोगों ने समस्या के समाधान की मांग की। लेकिन अब तक विभाग का कोई भी कर्मचारी जांच के लिए नहीं पहुंचा।