अलकतरा घोटाले में बिहार के पूर्व मंत्री इलियास सहित 5 को 3-3 साल की सजा

इन सभी दोषियों पर 32-32 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया एकीकृत बिहार में 28 साल पहले हुए अलकतरा घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाया। सीबीआई के विशेष जज पीके शर्मा की कोर्ट ने इस मामले में तत्कालीन पथ परिवहन मंत्री इलियास हुसैन समेत पांच दोषियों को तीन-तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इनमें पूर्व मंत्री के अलावा शहाबुद्दीन बेग, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा शामिल हैं। कोर्ट ने पांचों दोषियों पर 32-32 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की राशि जमा न करने पर उन्हें एक-एक साल की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा काटनी होगी। इस मामले में दोनों पक्षों की अंतिम बहस 22 मार्च को ही पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसले की ​तारीख 29 मार्च निर्धारित की थी। कोर्ट ने सात आरोपियों को बरी किया 28 साल पुराने घोटाले के इस केस में 22 मार्च को पूरी हुई थी सुनवाई, अब सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला अलकतरा घोटाला वर्ष 1992 से 1996 के बीच चतरा, हजारीबाग और सिमडेगा में हुआ था। जिस मामले में पूर्व मंत्री को सजा हुई है, वह हजारीबाग जिले से संबंधित है। यहां 27.70 लाख रुपए का घोटाला हुआ ​था। आरसीडी रोड डिवीजन हजारीबाग के तहत सड़कों का निर्माण किया जाना था। हल्दिया ऑयल रिफाइनरी कोलकाता से अलकतरा आना था। लेकिन तत्कालीन मंत्री और इंजीनियर ने मिलीभगत कर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अलकतरा बेच दिया। इसके बाद पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 फरवरी 1997 को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी। इसके बाद सीबीआई ने 20 मार्च 1997 को पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज की। सीबीआई जांच में पता चला कि मंत्री और इंजीनियरों ने मिलीभगत कर 3266 मीट्रिक टन अलकतरा अवैध तरीके से बेच दिया। इससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। कोर्ट ने पांच दोषियों को सजा सुनाने के साथ ही इस मामले के सात आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें केदार पासवान, गणपति रामनाथ, शीतल प्रसाद माथुर, तरुण कुमार गांगुली, रंजन प्रधान, शोभा सिन्हा और महेश चंद्र अग्रवाल शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इन सात आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।

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