स्टेट यूनिवर्सिटी के कुलपतियों के लिए बड़ी खबर है। कुलपतियों को ड्यूटी लिव लेने पर राजभवन द्वारा रोक लगा दी गई है। अब राज्य के किसी विश्वविद्यालय के कुलपति ड्यूटी लिव (अवकाश) लेकर यूनिवर्सिटी के बाहर अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के सेमिनार, वर्कशॉप समेत अन्य कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकेंगे। इस संबंध में राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोश कुमार गंगवार के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा गाइडलाइन जारी कर दी गई है। इसमें ड्यूटी अवकाश, आकस्मिक अवकाश और मुख्यालय अवकाश को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ड्यूटी अवकाश के लिए आवेदन सीधे तौर पर विश्वविद्यालय के मामलों से संबंधित होना चाहिए। अन्य संस्थानों में व्यक्तिगत क्षमता बढ़ाने को लेकर सेमिनार, वर्कशॉप, सिंपोजियम समेत अन्य कार्यक्रम भाग लेने के लिए ड्यूटी अवकाश नहीं दिया जाएगा। अभी तक राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा राज्य के दूसरे या देश के किसी विश्वविद्यालय में शामिल होने के लिए ड्यूटी लिव लिया जाता था, जिस पर राजभवन द्वारा रोक लगा दी गई है। राजभवन के इस आदेश के आलोक में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी (बीबीएमकेयू) द्वारा नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि विवि अधिकारियों, डीन, एचओडी और शिक्षकों पर अवकाश को लेकर राजभवन द्वारा जारी गाइडलाइन लागू रहेगा। विवि रेगुलेशन में यह प्रावधान यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) और विश्वविद्यालय रेगुलेशन में ओरिएंटेशरन, रिफ्रेशर कोर्स, कांफ्रेंस, सिंपोजियम के लिए ड्यूटी लिव लेने का स्पष्ट प्रावधान है। यूजीसी नियम के अनुसार में एक वर्ष में शिक्षक 30 दिन ड्यूटी अवकाश ले सकते हैं। जबकि विवि रेगुलेशन के अनुसार वर्ष में 14 दिन ड्यूटी लिव ले सकते हैं। शिक्षकों ने कहा है कि सेमिनार, सिंपोजियम में करियर से जुड़ा है, इसलिए नियम के अनुसार ड्यूटी लिव मिलना ही चाहिए। आकस्मिक अवकाश : 3 दिन पहले देना होगा आवेदन अब राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को आकस्मिक अवकाश के लिए आवेदन कम से कम 03 दिन पहले आवेदन देना होगा। अभी तक आकस्मिक अवकाश लिए कितना दिन पहले आवेदन देंगे, यह क्लियर नहीं था। राजभवन ने कहा है कि केवल असाधारण और अत्यावश्यक मामलों में ही देर से आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।