बिजुरी भूमिगत कोयला खदान बंद होने की प्रबल संभावना, व्यापार तथा रोजगार होगा प्रभावित!
कोयलांचल क्षेत्र में लगातार बंद हो रही कोयला खदानें लोगों के लिए मुसीबत
बिजुरी। कोयलांचल क्षेत्र में लगातार पुरानी कोयला खदानें जहां बंद होती जा रही हैं वहीं कोई भी नई शासकीय कोयला खदान प्रारंभ नहीं की जा रही हैं जिसके कारण लगातार कोयलांचल क्षेत्र में कोयला खदानों के बंद होने से तथा कर्मचारियों के अन्यत्र स्थानांतरण किए जाने से कोयलांचल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़तीं जा रही है। इसके साथ ही क्षेत्र का रोजगार एवं व्यवसाय भी कोयला खदानों के लगातार बंद होने एवं यहां कार्य कर रहे कर्मचारियों का स्थानांतरण होने की वजह से ठप्प होता जा रहा है।
प्रबंधन ने नोटिस चस्पा कर कर्मचारियों से स्थानांतरण का मांगा विकल्प
एस ई सी एल हसदेव क्षेत्र अंतर्गत बिजुरी भूमिगत कोयला को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इसके साथ ही यहां पर कार्यरत कर्मचारियों का अन्यत्र स्थानांतरण करने स्थानीय बिजुरी कालरी प्रबंधन के कार्मिक विभाग ने तैयारी भी कर ली है। मिली जानकारी अनुसार बिजुरी भूमिगत कोयला खदान की शुरुआत 1971 में हुई थी। इसके बाद लगभग 51 वर्षों तक यह कोयला खदान संचालित होती रही। बताया जाता है कि कोयला का कुछ भंडार होने के बावजूद भी तकनीकी सुरक्षात्मक भूमिगत कोयला खदान के ऊपर घनी आबादी और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जटिल होने के कारणों से प्रबंधन द्वारा 51 वर्ष पुराने इस कोयला खदान को बंद करने का निर्णय लिया गया है।
इससे पूर्व भी बंद हो चुकी है कई कोयला खदानें
बिजुरी नगर जो की पूरी तरह से कोयला खदानों के ऊपर आश्रित है। आसपास कई कोयला खदानें होने के कारण स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही व्यवसाय भी बेहतर चल रहा था लेकिन लगातार यहां कोयला खदान बंद हो रही है जिसके कारण नगर की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसके पूर्व लोहसरा भूमिगत कोयला खदान, सोमना कोयला खदान, ए सिम कोयला खदान कपिलधारा खदान यहां बंद की जा चुकी हैं और अब जल्द ही बिजुरी कोयला खदान के बंद होने की जानकारी मिली है। जिसके कारण बिजुरी नगर में सिर्फ दो खदान ही शेष रह जाएंगी जिनमें कुरजा और बहेराबांध कोयला खदान है।
नई शासकीय कोयला खदानों को खोलने के लिए जनप्रतिनिधि तथा प्रशासन दोनों का रवैया उदासीन
कोयलांचल क्षेत्र बिजुरी, कोतमा, राजनगर, जो की मुख्य रूप से कोयला खदानों पर आश्रित है। यहां की अर्थव्यवस्था तथा यहां का रोजगार भी इन्हीं पर निर्भर है तथा यहां का व्यवसाय भी इसी उद्योग की वजह से संचालित होता है। लगातार बीते कई वर्षों से यहां स्थित कोयला खदानें लगातार बंद होती जा रही हैं और नए कोयला खदान प्रारंभ किए जाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके कारण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। कोल इंडिया की कोयला खदानें लगातार यहां बंद होती जा रही हैं कुछ निजी कोयला खदान प्रारंभ भी की गई है जिनका कोल ब्लॉक निजी कंपनियों को आवंटित किए जाने से न तो स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल पा रहा है और नही व्यापार पर ही इनका सकारात्मक असर दिखाई देता।
क्या कहते हैं क्षेत्र के श्रमिक नेता
श्रमिक नेताओं का मानना है कि इस बार एस ई सीएल मुख्यालय ने बिजुरी खान के लिए उत्पादन का लक्ष्य नहीं निर्धारित किया था ऐसी स्थिति तब निर्मित होती है जब किसी खदान से कोयले का उत्पादन समाप्त होने की कगार पर है अथवा उत्पादन मूल्य बहुत ज्यादा हो रहा हो या फिर उत्पादन असुरक्षित हो गया हो जोखिम पूर्ण हो.कंपनी ने नियमानुसार नोटिस चस्पा कर दिया है और कर्मचारियों के समायोजन के लिए विकल्प प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
अधिकारी बयान से बच रहे
एसईसीएल के अधिकारी अपना नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि वे अधिकारिक टिप्पणी तो नहीं कर सकते लेकिन भूमिगत खानों के कोयला भंडार की मात्रा,खान की उम्र तय करें करते हैं ऐसे में अगर खान बंद करने का वक्त आ गया है तो कर्मचारियों को अन्य स्थानो समायोजित तो करना ही होगा नई खानों के स्थापना के संबंध में बताया कि क्षेत्र में जहां निर्धारित औसत मूल्य पर कंपनी खानों को प्रारंभ कर सकती है वहां किया जाएगा।
पूर्व में बिजुरी नगर में कुल सात खदाने हुआ करती थी जिनमें से 5 खदाने पूर्णता बंद हो चुकी है अगर यही क्रम चलता रहा तो यहां के रहवासी कर्मचारी पलायन को मजबूर हो जायेंगे