सरकार ने फिर कहा-एकल-पट्टा प्रकरण में मामला चलाना चाहते है:एसीबी कोर्ट के आदेश को सपोर्ट करते है, गहलोत सरकार ने बंद कर दिया मामला

पूर्व मंत्री शांति धारीवाल से जुड़े एकल पट्टा प्रकरण में आज एक बार फिर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि हम मामले को चलाना चाहते है। आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान स्पेशल पीपी अनुराग शर्मा ने कहा कि हम एसीबी कोर्ट के 26 नवम्बर 2021 के आदेश को सपोर्ट करते हैं। जिसमें एसीबी कोर्ट ने जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को नामंजूर कर दिया था। लेकिन गहलोत सरकार ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की थी। आज सरकार की ओर से कहा गया कि हम इस रिवीजन याचिका को वापस लेना चाहते हैं। लेकिन आरोपियों के अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया कि हम सरकार की रिवीजन याचिका का विरोध करते है, इस पर बहस करना चाहते हैं। इससे पहले आज भी हाईकोर्ट में अशोक पाठक को पार्टी बनाए जाने और नहीं बनाए जाने के मुद्दे पर बहस अधूरी रही। अब 15 अप्रेल को दोपहर 12 बजे मामले की सुनवाई तय की गई हैं। आरएस राठौड़ कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका वापस भेजी
एकल पट्टा प्रकरण में भजनलाल सरकार द्वारा गठित कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की बैंच ने सुनवाई करने से इनकार करते हुए इसे वापस रूटीन बैंच में लगाने के निर्देश दिए। दरअसल राज्य सरकार ने एकल पट्टा प्रकरण में दर्ज एफआईआर व उसे लेकर विभिन्न स्तरों पर लिए गए निर्णयों और अदालत में लंबित मामले में राय देने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश जस्टिस आरएस राठौड़ की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। जिसे मामले में आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी जीएस संधू ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि सरकार क्रिमिनल मामलों में समानांतर जांच नहीं कर सकती हैं। पहले से ही इस मामले में एसीबी जांच पूरी कर चुकी हैं। इस याचिका को मुख्य याचिका के साथ टैग कर दिया गया था। जिस पर स्पेशल पीपी अभिनव शर्मा ने अदालत से कहा था कि इस मामले को मुख्य मामले के साथ में नहीं सुना जा सकता है। पाठक को पक्षकार बनाने के मुद्दे पर बहस जारी
पिछले तीन दिनों से हाईकोर्ट में इस मामले में बहस हो रही है कि क्या अशोक पाठक को पक्षकार बनाया जाए या नहीं। आज पूर्व आईएएस अधिकारी जीएस संधू, पूर्व आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर और औंकारमल सैनी की ओर से पाठक को पक्षकार बनाए जाने का विरोध किया गया। उनके अधिवक्ताओं ने कहा कि पाठक का इस केस से कोई संबंध नहीं हैं। इस पर पाठक के अधिक्ता वागीश कुमार सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी पाठक ने ही एसएलपी दायर की थी। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी सुना हैं। इस मामले में मूल शिकायतकर्ता समझौता कर चुका है। यह भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला हैं, उन्हें पक्षकार बनाया जाना चाहिए। अब आगे की बहस अगली सुनवाई पर होगी। 14 साल पहले जारी किया था एकल पट्‌टा
29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। इसकी शिकायत परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में की थी। एसीबी में शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था। मामला बढ़ने पर विभाग ने 25 मई 2013 को एकल पट्टा निरस्त कर दिया था। एकल पट्टा प्रकरण में तत्कालीन वसुंधरा सरकार के समय 3 दिसंबर 2014 को एसीबी ने मामला दर्ज किया था। आरोपियों के खिलाफ चालान भी पेश किया था। उस समय तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से भी पूछताछ की गई थी। प्रदेश में सरकार बदलते ही गहलोत सरकार में एसीबी ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थीं। तीनों क्लोजर रिपोर्ट में सरकार ने इस मामले में पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी को क्लीन चिट दी थी।

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