प्रेमिका की हत्या कर घर में दफनाया, ऊपर बनाया चबूतरा:साइको-किलर ने प्रेमिका को सोशल मीडिया पर जिंदा रखा, मोबाइल लोकेशन से खुला राज

तारीख- 2 फरवरी 2017। जगह- भोपाल के साकेत नगर का मकान नंबर MIG-62। दोपहर के करीब 12 बज रहे थे। मकान के बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा था। लोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही थी। हर कोई ये जानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर मकान के भीतर हो क्या रहा है? दूसरी तरफ, मकान के भीतर पुलिस अफसर और मजदूरों की आवाजाही थी। मजदूर भीतर किसी दीवार को तोड़ रहे थे। ये सिलसिला कुछ ही घंटे पहले शुरू हुआ था। वक्त बीतता गया। करीब आठ घंटे बाद गोविंदपुरा थाने की पुलिस मकान के बाहर निकली। उसने जो बताया, उसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। पुलिस ने बताया कि भीतर संदूक में एक युवती की लाश मिली है। उसका नाम आकांक्षा शर्मा है और वह पश्चिम बंगाल के बांकुरा की रहने वाली है। पुलिस ने ये भी बताया कि आरोपी कोई और नहीं बल्कि युवती का प्रेमी है, जिसका नाम है उदयन दास। इसके बाद पुलिस ने जो कहानी सुनाई, वह एक खौफनाक मर्डर से जुड़ी थी। मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में आज पढ़िए एक ऐसे साइको किलर की कहानी, जिसने प्रेमिका की हत्या के बाद चार महीने तक उसे जिंदा रखा था। पहले पार्ट के तीन चैप्टर में पढ़िए, पुलिस ने कैसे सुलझाई मर्डर मिस्ट्री… माता-पिता का इकलौता बेटा था उदयन
उदयन के पिता वीके दास बीएचईएल भोपाल में पदस्थ थे। मां इंद्राणी विंध्याचल भवन भोपाल में डेटा एनालिस्ट के पद पर थीं। साल 2000 में जब मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बना, तब उदयन के माता-पिता ने छत्तीसगढ़ जाने का फैसला किया। कुछ सालों बाद मां इंद्राणी रिटायर हो गईं। उदयन अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। उसकी स्कूलिंग भोपाल से हुई थी। 2003 में उसने भिलाई के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई किया था। मगर, सभी को ये कहता था कि उसने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है। उसकी फर्राटेदार अंग्रेजी सुनकर हर कोई इस बात पर यकीन करता था। कभी मॉस्को तो कभी पेरिस में रहना बताता
उदयन माता-पिता के पैसों पर लग्जरी लाइफ जीता था। पिता वीके दास ने भोपाल, रायपुर और दिल्ली में मकान खरीदे थे। पिता के साथ उदयन का बैंक में जॉइंट अकाउंट था, जिसमें साढ़े आठ लाख रुपए एफडी का ब्याज आता था। उसे काम करने की जरूरत नहीं थी। सोशल मीडिया पर भी उदयन ने झूठ और फरेब का संसार तैयार किया था। वह लग्जरी गाड़ियों का शौकीन था। लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए वह खुद को कभी पेरिस तो कभी मॉस्को में होना बताता था। कभी ये पोस्ट करता कि उसकी यूएन में जॉब लग गई है, तो कभी बताता कि यूएस में पीएचडी कर रहा है। खुद को बड़ा अफसर भी बताता था। इसी से इंप्रेस हुई थी पश्चिम बंगाल के बांकुरा की रहने वाली आकांक्षा। 2007 में शुरू हुई उदयन-आकांक्षा की लव स्टोरी
उदयन और आकांक्षा उर्फ श्वेता शर्मा की प्रेम कहानी 2007 में शुरू हुई थी। दोनों पहले सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले। फिर जयपुर में उदयन की आकांक्षा से मुलाकात हुई। उसने आकांक्षा को बताया कि वह आईआईटी पासआउट है और उसके पास अमेरिकी नागरिकता है। आकांक्षा उदयन की तरफ आकर्षित हुई। इसके बाद लगातार दोनों के बीच बातचीत होती रही। जल्द ही वे एक-दूसरे के करीब आ गए। साल 2014 में उदयन आकांक्षा से मिलने कोलकाता गया था, जहां एक होटल में उनके बीच रिलेशन बने। 2016 में दोनों लिव-इन में रहने लगे
इसके कुछ दिन बाद ही आकांक्षा कोलकाता छोड़कर दिल्ली आ गई। उदयन और आकांक्षा दिल्ली में मिलने लगे। दोनों साथ में कई जगह घूमने भी जाते थे। जून 2016 में आकांक्षा ने घर वालों से कहा कि उसकी अमेरिका में नौकरी लग गई है। दरअसल, उदयन ने यूनिसेफ में जॉब लगने का फर्जी ऑफर लेटर बनाया था, जिसमें न्यूयॉर्क में पोस्टिंग की बात लिखी थी। आकांक्षा ने घरवालों को ये ऑफर लैटर दिखाया और कहा कि टिकट के पैसे देने होंगे, बाद में कंपनी इन्हें रिफंड कर देगी। बेटी के कहने पर घरवालों ने उसके बैंक अकाउंट में 1 लाख 20 हजार रुपए जमा कर दिए। आकांक्षा अमेरिका नहीं गई, बल्कि उदयन उसे अपने साथ भोपाल के साकेत नगर वाले घर में ले आया। यहां दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे। जुलाई के महीने में आकांक्षा का अपने परिजन से अचानक संपर्क टूट गया। आकांक्षा से मैसेज पर बातचीत, परिजन हुए परेशान
दरअसल, उदयन के घर आने के बाद आंकाक्षा ने परिजन से मोबाइल पर एक या दो बार ही बात की थी। जुलाई के बाद आकांक्षा के मोबाइल से परिजन को केवल मैसेज ही मिल रहे थे। उससे बात नहीं हो पा रही थी। आकांक्षा से जब परिजन का संपर्क नहीं हुआ तो वे परेशान हो गए। वो किस हाल में है, उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। आकांक्षा ने अपने परिजन को उदयन के बारे में भी नहीं बताया था। एक दिन परिजन को फेसबुक के जरिए आकांक्षा और उदयन की दोस्ती के बारे में पता चला। उन्होंने देखा कि आकांक्षा सोशल मीडिया पर एक्टिव है। वह फेसबुक पर पोस्ट कर रही है और उदयन उस पर रिएक्ट कर रहा है। परिजन ने उदयन से संपर्क किया। उसने आकांक्षा के घर वालों से कहा- लोकल सिम न होने से वे उससे फोन पर बात नहीं कर सकते, इसलिए वह मैसेज करती है। परिजन को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ। 5 अक्टूबर 2016 को उदयन आकांक्षा के माता-पिता से मिलने बांकुरा पहुंच गया। उदयन ने आकांक्षा के माता-पिता को बताया कि वह अमेरिका में है। यदि वे आकांक्षा से मिलने उसके पास जाना चाहते हैं तो वो व्यवस्था कर देगा। उदयन 4 दिन वहां रुका, फिर भोपाल लौट आया। उदयन ने भोपाल में साकेतनगर स्थित अपने घर का एड्रेस उन्हें बताया था। आकांक्षा के मोबाइल की लोकेशन भोपाल की मिली
आकांक्षा के भाई को उदयन की बातों पर यकीन नहीं था। उसने अपने सोर्सेस का इस्तेमाल कर आकांक्षा के मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस की तो वह भोपाल में मिली। परिजन इस बात से हैरान हो गए कि जब वह अमेरिका में है तो उसके फोन की लोकेशन भोपाल में कैसे मिली? पुलिस को सूचना देने से पहले आकांक्षा के पिता खुद भोपाल में उसे ढूंढने के लिए नवंबर 2016 में भोपाल आए। स्थानीय पुलिस की मदद से पिता ने उदयन के घर का पता ढूंढा। लेकिन आकांक्षा के पिता शिवेंद्र उदयन से नहीं मिले और वापस लौट गए। उन्होंने पुलिस के सामने भी किसी तरह की अनहोनी की आशंका जाहिर नहीं की। इस बीच परिजन का आकांक्षा से संपर्क पूरी तरह टूट गया। पहले उसके मैसेज भी आते थे लेकिन अब मैसेज आने भी बंद हो गए। आखिरकार परिजन ने दिसंबर 2016 में आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट पश्चिम बंगाल के बांकुरा थाने में दर्ज करवाई। पुलिस को तफ्तीश में मिले अहम सुराग
बांकुरा थाना पुलिस की टीम आकांक्षा को ढूंढने के लिए हर पहलू पर काम कर रही थी, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था। पुलिस ने भी जब उसके मोबाइल की लोकेशन पता की तो वह भोपाल की मिली। पुलिस भोपाल पहुंची और गोविंदपुरा थाने की पुलिस से संपर्क किया। यहां पुलिस ने उदयन के साकेत नगर के घर के आसपास गोपनीय तरीके से पूछताछ की। पूछताछ में पता चला था कि जून के महीने में उदयन के साथ एक लड़की दिखाई दी थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों से उसे किसी ने आते-जाते नहीं देखा। पुलिस ने उदयन का बैकग्राउंड खंगाला
बांकुरा पुलिस को यकीन हो गया कि आकांक्षा उदयन के ही साथ थी। उदयन के बारे में पुलिस ने और इन्फॉर्मेशन कलेक्ट की। पुलिस को पता चला कि भोपाल के शिवाजी नगर स्थित केजी 122/43 के सरकारी मकान में दास परिवार लंबे समय तक रहा है। उदयन की मां इंद्राणी दास को ये मकान आवंटित हुआ था। उदयन का बचपन इसी मकान में बीता था। शिवाजी नगर में उदयन के पड़ोस में रहने वाले लोगों ने बताया कि बचपन में घर के लोग उस पर काफी सख्ती बरतते थे। उसे किसी से घुलने-मिलने नहीं दिया जाता था। यदि वह घर से बिना बताए बाहर जाता था, तो उसे बाथरूम में बंद कर दिया जाता था। इसके बाद भी जब वह बाहर खेलने जाता तो उसके साथ मारपीट की जाती। इसी सख्ती के बीच उदयन ने भोपाल के स्कूल से 12वीं पास की थी। 2 फरवरी 2017 को सामने आया खौफनाक सच
इसी दिन बांकुरा थाना और भोपाल की स्थानीय पुलिस उदयन के साकेत नगर स्थित घर पहुंची। घर पर बाहर से ताला लगा था। मगर, पुलिस को यकीन था कि घर में कोई है। पुलिस ने घंटी भी बजाई, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इस केस की जांच कर रहे भोपाल के तत्कालीन एसपी साउथ सिद्धार्थ बहुगुणा बताते हैं कि जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो हमने गोविंदपुरा थाने के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर सतेंद्र सिंह कुशवाहा को दूसरे छज्जे से घर के भीतर भेजा। कुशवाह जब दरवाजे पर पहुंचे, तो वहां का माहौल उन्हें अजीब सा लगा। उन्होंने धीमे से आवाज लगाई- अंदर कोई है। अंदर से किसी ने थोड़ा सा दरवाजा खोला, कुशवाहा ने तत्काल ही हाथ पकड़कर उसे बाहर खींचा। ये उदयन था। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की। माता-पिता के बारे में पूछा तो बोला- पिता का निधन हो गया, लेकिन मां अमेरिका में रहती है। पुलिस ने उससे आकांक्षा के बारे में पूछा तो वह गुमराह करता रहा। बाद में उसने सच कबूला तो उसे सुनकर पुलिस अधिकारी भी दंग रह गए। मकान के भीतर चबूतरे के नीचे थी आकांक्षा की लाश
उदयन ने पुलिस को बताया कि उसने आकांक्षा की हत्या कर दी है और उसे घर के भीतर सीमेंट के एक चबूतरे के नीचे दबा दिया है। पुलिस ने उस चबूतरे की खुदाई कराई। आठ घंटे बाद चबूतरे के नीचे से एक संदूक निकला। जब संदूक को खोला गया तो उसमें सीमेंट से सनी हुई एक युवती की लाश मिली। ये आकांक्षा की लाश थी। अब पुलिस को इन सवालों के जवाब चाहिए थे- इन सभी सवालों का जवाब जानिए पार्ट-2 में…

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